स्टेशन के बाहर घंटों रुकी रही ट्रेन, दो दिन से भूखे मज़दूर पटरी पर सोकर विरोध जताने पर मजबूर।
समस्तीपुर (जकी अहमद)
प्रवासी मज़दूरों को घर पहुंचाने के लिए सरकार ने श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चला तो दी हैं, लेकिन उनकी हालत क्या है, सब जान चुके हैं. ट्रेनें चार-चार, पांच-पांच दिन देरी से चल रही हैं. 30 घंटे का सफर तय करने में पांच दिन लग जा रहे हैं. ऐसे में कई इलाकों से मज़दूरों के विरोध प्रदर्शन की खबरें भी आने लगी हैं.
कुछ लोग रेलवे ट्रैक पर सोकर विरोध जता रहे हैं, तो कुछ लोग खाली ट्रेनों को रोककर जी ह हम बात कर रहे है समस्तीपुर की जहा मज़दूरों का गुस्सा देखने को मिला. एक ट्रेन समस्तीपुर के आउटर सिग्नल पर 20 घंटे देरी से पहुंची और रुक गई. दो दिन से भूखे-प्यासे मजदूर गुस्से में थे. उन्होंने हंगामा शुरू कर दिया. कईयों ने गुस्से में अपनी शर्ट उतार दी. कुछ पटरी पर लेट गए. इसी दौरान अप-लाइन से खाली डिब्बों को लेकर एक ट्रेन गुज़र रही थी. मज़दूरों ने उसे रोकने के लिए रेलवे लाइन के किनारे रखी पटरी को उठाकर ट्रैक पर रख दिया. ऐसे में उस खाली ट्रेन को भी रुकना पड़ गया. गर्मी बहुत है, ट्रेनें घंटों लेट हो रही हैं, ऐसे में मज़दूरों को खाने-पीने की भी दिक्कत हो रही है.
इन सब से वो गुस्साए हुए थे. कई घंटों तक हंगामा करने के बाद आखिरकार उनकी ट्रेन को खोला गया. मज़दूर उसमें सवार हुए और ट्रेन आगे बढ़ गई. उसके बाद इलाके की पुलिस ने स्थानीय लोगों की मदद से ट्रैक पर रखी पटरियों को हटाया और अप-लाइन को खाली किया, समस्तीपुर स्टेशन से कई श्रमिक स्पेशल ट्रेनें गुज़र रही हैं.इनमें से करीब 45 ट्रेनें कई घंटों की देरी से चल रही हैं. इसी लेट-लतीफी के चक्कर में 26 मई को स्टेशन पर भयंकर कन्फ्यूज़न हो गया. दरअसल, रेलवे अधिकारियों को भी ट्रेन के सही वक्त की जानकारी नहीं मिल पा रही है. ऐसे में उन्हें पता चला कि 06155 मद्रास-दरभंगा श्रमिक स्पेशल ट्रेन समस्तीपुर से गुज़रने वाली है. जो कि 27 घंटे लेट थी. उसमें बैठे मज़दूर भूखे-प्यासे थे, इसलिए उनके लिए पहले से ही स्टेशन पर खाने के पैकेट और पानी का इंतज़ाम करके रखा गया था.
इसी बीच एक ट्रेन प्लेटफॉर्म नंबर-1 से गुज़री. लोगों ने उसमें सवार मज़दूरों को फूड पैकेट और पानी बांटना शुरू कर दिया, बाद में पता चला कि वो भिवानी से पूर्णिया जाने वाली ट्रेन थी. लेकिन फूड पैकेट तो बंट चुके थे. फिर जब दरभंगा जाने वाली ट्रेन असल में आई तो फूड पैकेट की कमी हो गई, ट्रेन में सवार लोग और बच्चे हाथ बाहर निकालकर खाना मांग रहे थे. खाने के लिए लोग ट्रेन से बाहर भी उतर गए थे. उन्होंने झुंड बना लिया था. प्लेटफॉर्म पर मौजूद रेलवे कर्मचारियों के पास जितने पैकेट थे,
उन्होंने दे दिए. बाद में फिर चूड़ा-मूंगफली और बिस्किट के पैकेट बांटे गए, क्योंकि फूड पैकेट खत्म हो गए थे. मज़दूर भी काफी सारे पैकेट ले रहे थे, क्योंकि उन्हें भी पता नहीं था कि आगे कब उन्हें खाना और पानी मिलेगा.ये जानने के लिए समस्तीपुर मंडल के सुरक्षा आयुक्त अंशुमान त्रिपाठी से बात की गयी तो उन्होंने बताया कि देश के कई हिस्सों से बिहार और बंगाल के लिए एक साथ श्रमिक ट्रेनें चली हैं.
चूंकि रास्ता काफी हद तक कॉमन है, ऐसे में इन ट्रेनों का बंच बन जा रहा है. इसलिए ये लेट हो रही हैं. उन्होंने कहा कि ट्रेन में सवार लोग भूखे-प्यासे हैं, इसलिए कई जगहों पर विरोध कर रहे हैं. उनका कहना है कि स्टेशन पर आने वाली ट्रेनों में सवार लोगों को वो खाना-पानी मुहैया करा सकें, ये उनकी कोशिश है और वो इस पर काम कर रहे हैं.