क़ैसर ख़ालिद —खाकी के साथ कवि का किरदार निभाने वाले मुंबई का एकमात्र आईपीएस अधिकारी।
अपनी ज़बान की मिठास से लोगो का दिल जीतने वाले पुलिस अधिकारी जिसने पुलिस और आम जनता के बीच की दूरी को कम करने का काम किया।
कोरोना काल और लॉकडाउन में कई जरूरतमंद लोगों को दिया राशन।
मुंबई:-मनोज दुबे
मुंबई मायानगरी जहां सभी धर्मों के लोग रहते है एक ऐसा शहर जो कभी सोता नही जहां बड़ी से बड़ी हस्ती रहती है जहां हररोज कई लोग अपने सपने पूरे करने मुंबई आते है।
मुंबई शहर में कई लोगो ने साजिश करके हमेशा लोगो मे नफरत और जहर घोलने का काम किया है।कई लोगो ने हिन्दू मुस्लिम लोगो को आपस मे लड़ाने की साजिश की।वही केसर खालिद जैसे अधिकारियों ने अपनी मधुरवाणी और कविताओं से लोगो के दिल को जीता।
लोगो के बीच फैल रहे जातिवाद को दूर किया हिन्दू मुस्लिम जैसे लोगो को जोड़ने का काम किया।मुंबई पुलिस के प्रति एक आम इंसान के दिल से पुलिस का डर निकालने का काम करते हुवे पुलिस और आम जनता के बीच की दूरी को दूर करने का काम कैसर खालिद ने किया।
कैसर खालिद के अच्छे व्यहवार और उनके सामाजिक कामो को देखते हुवे मुंबई के साथ भारत के कई राज्यो में उनकी प्रशंसा की जाती है महाराष्ट्र और कई राज्यो से जभी कोई मुंबई आता है तो केसर खालिद से जरूर मुलाकात करता है।
कैसर खालिद ने एक आईपीएस अधिकारी होते हुवे मुंबई पुलिस के कई बड़े पदों पर काम किया है लेकिन उनकी लोकप्रियता इतनी है कि एक आम इंसान भी उनसे मुलाकात करता है।कैसर खालिद ने हमेशा लोगो को एकजूट रहकर भाईचारा रखने का संदेश दिया है।
कैसर खालिद एक ऐसा शख़्स जो कि ना कोई सामाजिक कार्यकर्ता है ना किसी एनजीओ का सदस्य है बल्कि एक आईपीएस ऑफ़िसर है। ऐसा मुंबई जैसे शहर में हर रक पुलिस अधिकारी अपने कामकाज में व्यस्थ है मुंबई पुलिस के जनरल पुलिस इंस्पेक्टर की पद पर होने के बाद भी सभी लोगो से मिलने का वक़्त कैसर खालिद निकालते है।और ऐसे नेक ईमानदार ऑफ़िसर का नाम है — क़ैसर ख़ालिद।
बिहार के अररिया ज़िला में 1971 में जन्मे क़ैसर ख़ालिद इस समय मुंबई में तैनात हैं और आईजी (सिविल डिफेंस) की ज़िम्मेदारी निभा रहे हैं। कैसर खालिद 1997 बैच के आईपीएस हैं तब उन्हें महाराष्ट्र कैडर मिला था।
क़ैसर ख़ालिद इन दिनों एक ख़ास मिशन में जुटे हुए हैं उनके इस मिशन का एकमात्र मक़सद भारत में हिन्दू-मुस्लिम एकता एक रखना। क़ैसर खालिद ने इसी मद्देनज़र कई किताबें लिख चुके हैं और साथ ही कई कवि सम्मेलन,मुशायरा का आयोजन कर चुके हैं।
कैसर खालिद अपनी सायरी और मुशायरे में उर्दू अदब और शायरी का इस्तेमाल करते है उनका मक्सद लोगों के बीच बेहतर समन्वय क़ायम करने के लिए होता है।
इंसानी जज़्बातों को बेहतरीन अंदाज़ में समझने वाले क़ैसर ख़ालिद की कविता सायरी जब लोग मुशायरों में सुनते हैं तो भावुक होकर अपने आंसू रोक नहीं पाते हैं।इनकी शायरी लोगों के दिलों को झकोर देती है।
क़ैसर खालिद के अनुसार पुलिस वालों को बताया जाता है कि मोहल्ले, एरिया,पुलिस विभाग की हद में आम जनता लोगों से अच्छे संबंध रखे और पुलिस की छवि अच्छी बनाई रखे।ताकि आम जनता लोगो मे पुलिस के प्रति डर ना हो पुलिस और कानून का डर सिर्फ अपराधी किसम के लोगो मे हो। पुलिस आम लोगो की सुरक्षा के लिए है और हम पुलिस वालों के पास आने में आम लोगो को कोई डर या हिचकिचाहट ना हो।
कैसर खालिद ने महफ़िल, मुशायरे और कवि सम्मेलनों में यह काम बहुत तेज़ी से किया है और आम लोगो के प्रति पुलिस के लिए दिल मे आदर और सम्मान का भाव उत्पन किया है।
क़ैसर ख़ालिद महाराष्ट्र के सबसे साफ़-सुथरे,होनहार और क़ाबिल अफ़सरों में से एक हैं ऐसे अधिकारियों की हमारे देश भर में कमी है।कैसर खालिद जैसे अधिकारियों की वजह से आज लोगो ने भाईचारा कायम है और हिन्दू मुस्लिम एकता कायम रखने में बहोत बाद योग्यदान कैसर खालिद का है।
क़ैसर खालिद कहते हैं कि “उर्दू मेरा इश्क़ है और शायरी मेरी आशिक़ी” हाल ही में उनकी एक और कविता संग्रह प्रकाशित हुई है। क़ैसर खालिद काफी मल्टी-टैलेंटेड हैं। उनकी खुद की शायरी में बहुत विविधता होती है। क़ैसर खालिद ने पटना कॉलेज से उर्दू मीडियम से अपनी ग्रेजुएशन की है।
क़ैसर ख़ालिद को कई पुरस्कार भी मिल चुके है।खालिद को ‘साहित्य अकादमी पुरूस्कार’ से भी सम्मानित किया गया है। हम फक्र से बोल सकते हैं कि क़ैसर खालिद महाराष्ट्र में एकमात्र आईपीएस अधिकारी हैं, जिन्हें ‘साहित्य अकादमी पुरूस्कार’ मिला है।
क़ैसर खालिद ने अनुसार बॉलीवुड में कई निर्देशकों ने मुझे फिल्मों में गाना गाने और ग़ज़ल लिखने के लिए मौका दे चुके हैं, मगर मैंने फिलहाल कोई रूचि नहीं दिखाई।
क़ैसर खालिद ज्यादा बड़े-बड़े सपने देखने वाले और बड़ी-बड़ी ख्वाहिशों रखने वालो के खिलाफ है खालिद के अनुसार दरअसल अधिक ख्वाहिशों के पालने के ख़िलाफ़ हैं। उनका कहना है कि ज्यादा ख्वाहिश कहीं न कहीं शर्मिंदा करा देती है सपने और ख्वाहिशों पूरी करने के चक्कर मे लोग गलत रास्ते चुन लेते है और जिसका परिणाम उनको भुगतान पड़ता है। इसलिए खालिद के अनुसार अपनी हद में रहना बेहतर है।
इस विषय पर कैसर खालिद ने एक शेर भी लिखा है और लोगो को हमेशा वो एक शेर सुनाते हैं, जो खुद उन्होंने लिखा है।
“हो के असीर ख्वाहिशें दुनिया में यह हुआ
दर-दर आज झुकता सर मेरा सर लगा मुझे”
क़ैसर ख़ालिद का नाम अदब की दुनिया में 2005 में तब रौशन हुआ जब उन्होंने सैय्यद मोहम्मद अली शाह अज़ीमाबादी जैसी बड़ी सख्शियत की ग़ज़लों को सम्पादित कर प्रकशित किया।अचानक से अदब की दुनिया के लोगों में उनका नाम गूंज गया।बिहार के पटना कॉलेज के लड़के कैसर खालिद का नाम महाराष्ट्र में गूंजने लगा।
अपनी मधुरवाणी के चलते आज कैसर खालिद के संबंध जनता के साथ नेता,अभिनेता सभी किस्म के लोगो से है और उनका संदेश हमेशा लोगो मे भाईचार,एकता और देश मे शांति अमन बनाये रखने के लिए होता है।सोशल मीडिया पे भी कैसर खालिद के नाम का बोलबाला है और उनकी लोकप्रियता दिन पे दिन सोशल मीडिया पे भी बढ़ती जा रही है।
हिंदी व उर्दू के कई प्रोग्राम कराने के बाद अब आईपीएस क़ैसर खालिद मराठी भाषा में भी मुशायरा करा रहे हैं।
क़ैसर खालिद के अनुसार “इंक़लाब जिंदाबाद’ और ‘सारे जहां से अच्छा, हिन्दुस्तान हमारा” जैसे ऐतिहासिक अल्फ़ाज़ उर्दू अदब और मुशायरो से ही आए हैं।अक्सर उनके प्रोग्राम का नाम ‘पासबाँ-ए-अदब’ या फिर ‘जश्न-ए-अदब’ होता है।उनके ज्यादातर प्रोग्राम दिल्ली और मुम्बई में आयोजित हुए हैं।
आज देश के ताज़ा हालात को देखते हुए क़ैसर खालिद कहते हैं कि लोगों के बीच इस तरह के कार्यक्रम हमेशा लगातार आयोजित होने चाहिए। हमें बेहतर ताल्लुक़ और लोगो से तालमेल मिलाकर चलना होगा।खालिद अपनी शायरी वाले अंदाज़ में कहते हैं।
“सिर्फ़ फिकरे मोहब्बत नहीं उसको काफ़ी
वो अमल से भी इज़हारे मोहब्बत तलब करता है…”
क़ैसर खालिद महाराष्ट्र पुलिस द्वारा दी गयी अपनी जिम्मेदारियों को भी पूरी तरह निभाते है।उनकी एक-एक बात अब अशआर होता है।लोग उनकी शायरी शेर कविता बड़े ध्यान से सुनते है उनपे अमल करते है।जैसे वो ईद की मुबारकबाद देते हुए कहते हैं।
“उम्मीदे आरज़ू नए गज़बे लिए है ईद
उतरे है ख़्वाब कितने ज़मीं पर हिलाल से”
आज के माहौल से के से क़ैसर ख़ालिद काफी परेशान हैं और क़लम की ताक़त और शेर के दम पर लोगों में प्यार बांटने की बात हमेशा कहते है। कैसर खालिद के अनुसार हैं “महत्वकांक्षा बड़ी हो सकती है, मगर इंसान की जान से क़ीमती नहीं हो सकती।”
क़ैसर ख़ालिद हमेशा लोगो ने एक संदेश देते है कि कोई भी धर्म इंसानियत से बड़ा नहीं हो।इंसानियत की सब से बड़ा धर्म है और खालिद ने हमेशा यह संदेश दिया है हमारी एकता ही हमारे देश की शक्ति है।
लोगो मे फैली नफरत को कैसर खालिद ने कहा जिसे में मुहब्बत की शायरी से काटुगा।
“यह है दौर-ए-हवस मगर ऐसा भी क्या, आदमी कम से कम आदमी तो रहे…”
आईपीएस कैसर खालिद ने अपनी कविताओं के माध्यम से अपने शेर के माध्यम से हमेशा लोगो को एकजुट रहने का फरमान दिया है और हमेशा हिन्दू-मुस्लिम एकता को कायम रखने का काम किया है।बिहार के अररिया जिल्हे से आये एक आईपीएस कैसर खालिद का नाम आज उनके काम और उनकी मधुरवाणी की वजह से पूरे महाराष्ट्र में गूंज रहा है।आज हमारे देश को कैसर खालिद जैसे पुलिस अधिकारियों की जरूरत है जो आम जनता और पुलिस के बीच की दूरी को दूर करने का काम करते है।
पुलिस के प्रति लोगो में विश्वास उत्पन करने का काम कैसर खालिद ने किया है।कोरोना काल और लॉक डाउन में कई जरूरतमंद लोगों को राशन देने का काम कैसर खालिद ने किया।आईपीएस होने पर भी कभी अपने पद का घमंड ना करते हुवे कैसर खालिद ने सोशल मीडिया के माध्यम से महाराष्ट्र राज्य से बाहर से भी आये हुवे लोगो को अपना कीमती वक़्त निकालकर वक़्त दिया उनसे मुलाकात की हम सलाम करते है ऐसे नेक ईमानदार आईपीएस अधिकारी जनाब कैसर खालिद का।