122 करोड़ के बैंक घोटाले का आरोपी कौन? पूर्व उपाध्यक्ष हिरेन भानु ने किया चौंकाने वाला दावा……..

MS Shaikh
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New India Cooperative Bank Scam: न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक घोटाले में जांच शुरू होने पर देश से भागने का आरोप लगने के बाद बैंक के पूर्व उपाध्यक्ष हिरेन भानु ने एक नया बयान दिया है, जिसमें उन्होंने दावा किया है कि वे पिछले 30 सालों से विदेश में रह रहे हैं. हिरेन ने दावा किया है कि उनकी पत्नी गौरी भानु, जो बैंक की कार्यवाहक अध्यक्ष हैं, भी किसी घोटाले के कारण भागी नहीं हैं, बल्कि वे उनके साथ विदेश में रह रही हैं, जबकि उनकी हाल ही में थाईलैंड यात्रा की योजना पहले से ही बनाई गई थी.

हिरेन भानु ने पिछले महीने मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) को अपना बयान दिया था और कथित 122 करोड़ रुपये के घोटाले के लिए गिरफ्तार आरोपी और वरिष्ठ अधिकारी हितेश मेहता को दोषी ठहराया था. उन्होंने दावा किया था कि जब आरबीआई के अधिकारी प्रभादेवी में बैंक के मुख्यालय पहुंचे थे, तो मेहता ने खुद उन्हें फोन किया और गुजराती में स्वीकार किया कि उन्होंने यह काम किया है और पांच साल में पैसे की हेराफेरी की बात कबूल की है.

हिरेन भानु पर गबन की गई राशि में से 26 करोड़ रुपये प्राप्त करने तथा उनकी पत्नी गौरी भानु पर हितेश मेहता से 2 करोड़ रुपये प्राप्त करने का आरोप है. ईओडब्ल्यू में दर्ज कराए गए बयान में भानु ने अपने तथा अपनी पत्नी पर लगाए गए आरोपों को पूरी तरह से नकार दिया है. अपने बयान में भानु ने कहा है कि बैंक पिछले 4 वर्षों से आरबीआई की निगरानी में था. बैंक में आरबीआई द्वारा बोर्ड की ऑडिट कमेटी में नामित एक निदेशक भी था तथा वही व्यक्ति न्यू इंडिया बैंक के बोर्ड का भी हिस्सा था.

उन्होंने यह भी बताया कि बैंक की नीति के अनुसार बैंक के वैधानिक ऑडिटर सहित विभिन्न विभागों के लिए सभी बाहरी ऑडिटरों की नियुक्ति की संस्तुति करने की पूरी जिम्मेदारी आंतरिक ऑडिट विभाग प्रमुख की थी. सभी बाहरी ऑडिटरों को अपनी टिप्पणियां आंतरिक ऑडिट विभाग प्रमुख को देनी थीं, जो बदले में बोर्ड की ऑडिट कमेटी को रिपोर्ट देते. ऑडिट कमेटी से पारित होने के बाद यह रिपोर्ट अगली बोर्ड बैठक में रखी जाती.

अपने बयान में उन्होंने आगे कहा कि पिछले 5 सालों में ऑडिट कमेटी के सामने पेश की गई किसी भी ऑडिट रिपोर्ट में कैश बैलेंस में किसी भी तरह की गड़बड़ी को उजागर नहीं किया गया है. इसलिए, निदेशक मंडल, अध्यक्ष और उपाध्यक्ष को कभी भी किसी भी नकदी के गायब होने की जानकारी नहीं हो सकती थी. पुलिस के पास बोर्ड और समिति की सभी मिनट्स मौजूद हैं. भानु ने अपने बयान में कहा है कि मेहता बैंक के सबसे वरिष्ठ कर्मचारी थे और पिछले 35 सालों से वहां काम कर रहे थे और अपने पिता के चेयरमैन रहने के समय से ही वहां थे.

उन्होंने पुलिस को 12 फरवरी की सुबह की घटनाओं का विस्तृत ब्यौरा दिया है. उस दिन आरबीआई के अधिकारी बैंक में आए थे. उन्होंने बैंक के सभी वरिष्ठ प्रबंधन को बोर्ड रूम में इकट्ठा होने के लिए कहा और उस समय मेहता भी मौजूद थे. करीब एक घंटे बाद मेहता बैंक से गायब हो गए.

दोपहर करीब 2:30 बजे आरबीआई के अधिकारियों ने बैंक के सभी वरिष्ठ अधिकारियों को ईमेल भेजकर पूछा कि कैश सेल में 122 करोड़ रुपये क्यों गायब हुए. प्रबंधन को इस बात का कोई सुराग नहीं था कि क्या हो रहा है क्योंकि यह श्री मेहता का विभाग था और वे गायब थे. मुख्य अनुपालन अधिकारी श्री घोष ने तब बैंक के पूर्व सीईओ श्री भोआन को फोन किया, क्योंकि वे बहुत परेशान थे और उनके पास कोई जवाब नहीं था.मेहता के बैंक पहुंचने के बाद उसने आरबीआई अधिकारियों और मौजूद बैंक अधिकारियों के सामने खुद कबूल किया कि वह अपराध के लिए पूरी तरह जिम्मेदार है. भानु ने यह भी दावा किया कि मेहता ने दहिसर स्थित एक इमारत को 70 करोड़ रुपये देने की बात कबूल की है, जबकि उसके द्वारा छह अन्य लोगों के साथ कथित तौर पर बड़ी रकम भी पार्क की गई थी.भानु ने अपने बयान में इस बात से इनकार किया है कि मेहता ने उसे 26 करोड़ रुपये का भुगतान किया था. उन्होंने कहा कि उनके आय के स्रोत उनके आयकर रिटर्न में दर्ज हैं और उनके खिलाफ आरोप असत्यापित हैं. उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि कैसे मेहता पर झूठ पकड़ने वाला परीक्षण किया गया था और जिसके परिणाम नकारात्मक आए थे. भानु ने यह भी सवाल उठाया कि 2021 से आरबीआई की निगरानी के बावजूद धोखाधड़ी पर किसी का ध्यान कैसे नहीं गया, जिससे गंभीर संदेह पैदा होता है.

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