मुंबई : केंद्र की एनडीए सरकार में मंत्री पद को लेकर खींचतान तेज हो गई है। पहले सिर्फ एनसीपी की ओर से नाराजगी जताई गई थी लेकिन अब महाराष्ट्र की दूसरी सहयोगी पार्टी शिव सेना की ओर से भी नाराजगी जताई गई है। बताया जा रहा है कि झारखंड की सहयोगी पार्टी आजसू के नेता भी मंत्री पद नहीं मिलने से नाराज हैं। सोमवार को महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे गुट ने इस बात पर नाराजगी जताई है कि सात लोकसभा सांसद होने के बावजूद उनकी पार्टी को सिर्फ एक स्वतंत्र प्रभार के राज्यमंत्री का पद मिला।
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की पार्टी के नेता श्रीरंग बारने ने कहा है उनकी पार्टी को कम से कम एक कैबिनेट मंत्री का पद चाहिए। नरेंद्र मोदी की तीसरी सरकार के मंत्रिमंडल पर सवाल उठाते हुए बारने ने कहा- सरकार में चार-पांच सीट जीतकर आने वाली पार्टियों को कैबिनेट मंत्री का पद दिया गया है। महाराष्ट्र में हमने तो सात सीटें जीती हैं, ऐसे में कम से कम हमें भी एक कैबिनेट तो मिलना ही चाहिए। बारने पुणे की मावल लोकसभा सीट से सांसद हैं। शिंदे गुट के सांसद ने आगे कहा- शिव सेना बीजेपी की सबसे पुरानी सहयोगी रही है, ऐसे में हमें भी कैबिनेट मंत्री पद मिलना चाहिए था। गौरतलब है कि शिंदे गुट के नेता प्रतापराव जाधव ने राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार के रूप में शपथ ली है।
उधर महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने अपने चाचा शरद पवार की तारीफ करते हुए 1999 में पार्टी की स्थापना के बाद से पार्टी को आगे बढ़ाने में उनके योगदान के लिए उन्हें धन्यवाद दिया। अब अजित पवार के बदले रुख से महाराष्ट्र में सियासी चर्चा शुरू हो गई है।
राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के अध्यक्ष अजित पवार के इस रुख ने सोमवार को सबको चौंका दिया हैं। उन्होंने पार्टी के स्थापना दिवस समारोह में अपने चाचा और राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी शरद पवार की अप्रत्याशित रूप से प्रशंसा की। उन्होंने शरद पवार को अपना मार्गदर्शक बताते हुए कहा कि उन्होंने (शरद पवार) पार्टी को खड़ा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। अजित ने कहा, ‘शरद पवार ने 25 साल पहले कांग्रेस की सोनिया गांधी की राष्ट्रीयता को लेकर एनसीपी की स्थापना की थी। मैं पार्टी का नेतृत्व करने और संगठन को शक्तिशाली नेतृत्व प्रदान करने के लिए उनका आभारी हूं।’ इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि वह एनडीए का हिस्सा हैं, लेकिन उनकी विचारधारा अलग है। उनका यह बयान ऐसे समय सामने आया है, जब पार्टी को लोकसभा चुनाव में खराब रिजल्ट का सामना करना पड़ा। इतना ही नहीं मोदी कैबिनेट 3.0 में उनकी पार्टी को प्राथमिकता भी नहीं मिली है। अब उनके बदले रुख से कई अटकलें शुरू हो गई हैं।
अजित ने स्पष्ट किया कि एनसीपी ने शिवसेना और बीजेपी से हाथ मिला लिया है, लेकिन पार्टी की विचारधारा में कोई बदलाव नहीं आया है। उन्होंने कहा, ‘हमारी विचारधारा वही है, हम शाहू (महाराज), महात्मा फुले और डॉ. आंबेडकर के दिखाए रास्ते पर चलते हैं।’ एनडीए के संविधान में बदलाव के दावों पर अजित ने कहा कि विपक्ष गलत बयानबाजी करने में सफल रहा। उन्होंने कहा, ‘यह गलत प्रचार था…ऐसा लगता है कि हम इसका मुकाबला नहीं कर पाए।’
अजित ने पार्टी कार्यकर्ताओं को इस समारोह में बताया कि एनसीपी ने नई एनडीए सरकार में स्वतंत्र प्रभार वाले राज्य मंत्री का पद क्यों स्वीकार नहीं किया। उन्होंने कहा, ‘हमारा तर्क है कि प्रफुल्ल पटेल लंबे समय तक यूपीए सरकार में कैबिनेट सदस्य थे, लेकिन इसे स्वीकार नहीं किया गया। हमने भाजपा नेतृत्व को सूचित किया है। हम कुछ समय तक इंतजार करेंगे और एनडीए के साथ बने रहेंगे। 15 अगस्त से पहले राज्यसभा में हमारी ताकत एक से बढ़कर तीन हो जाएगी।’
बता दें कि जून 2023 में अपने चाचा से अलग होने के बाद अजीत पवार का पवार सीनियर की प्रशंसा में यह पहला बयान है। यह बयान लोकसभा चुनाव के नतीजों के कुछ दिनों बाद आया है। लोकसभा चुनाव में शरद पवार की एनसीपी ने 10 सीटों पर चुनाव लड़ा और आठ सीटें जीती हैं। अजीत की पार्टी ने चार सीटों पर चुनाव लड़ा था और सिर्फ एक पर जीत हासिल की।
महाराष्ट्र में असली एनसीपी कौन है?
सत्तारूढ़ और विपक्षी राष्ट्रवादी कांग्रेस दोनों पार्टियों ने 25वां स्थापना दिवस मनाया। दोनों ही पार्टियों ने मूल पार्टी होने का दावा कर दिया। बारामती से निर्वाचित सांसद सुप्रिया सुले ने अजीत पवार के नेतृत्व वाली पार्टी को याद दिलाने की कोशिश की कि चुनाव आयोग द्वारा दिया गया दर्जा ‘अस्थायी’ था। अजित पवार के नेतृत्व वाली सत्तारूढ़ पक्ष, मूल पार्टी के नाम और चुनाव चिन्ह से लैस है, जबकि शरद पवार के नेतृत्व वाली राकांपा को हाल ही में संपन्न लोकसभा चुनावों में मिले भारी समर्थन का भरोसा है, जहां उसने 10 में से आठ सीटें जीतीं। मुंबई में पार्टी कार्यालय में ध्वजारोहण समारोह में सत्तारूढ़ राकांपा की राज्य इकाई के प्रमुख सुनील तटकरे ने कहा कि पार्टी का अब से एकमात्र लक्ष्य आगामी विधानसभा चुनाव जीतना है।