मुंबई, 11 अप्रैल 2025 (शुक्रवार)
मुंबई के सांताक्रूज़ (पूर्व) स्थित गोलीबार क्षेत्र में आज जुमे की नमाज़ के बाद वक्फ संशोधन बिल 2024 के खिलाफ एक ऐतिहासिक और शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन आयोजित किया गया। कब्रिस्तान के सामने जमा हुए सैकड़ों नागरिकों ने काली पट्टियाँ बाँधकर सरकार के खिलाफ अपना विरोध दर्ज कराया। इस प्रदर्शन में सभी वर्गों के लोगों की भागीदारी देखने को मिली, जिसने इसे एक व्यापक जनआंदोलन का रूप दिया।
प्रदर्शनकारियों ने संविधान में निहित नागरिक अधिकारों की रक्षा के लिए आवाज़ उठाई और सरकार से अपील की कि वह देश के हर नागरिक को समानता का अधिकार सुनिश्चित करे। वक्ताओं ने मंच से कहा कि वक्फ संशोधन बिल न केवल संपत्ति अधिकारों का हनन करता है, बल्कि यह सामाजिक संतुलन और नागरिक समानता के सिद्धांतों को प्रभावित कर सकता है।
इस विरोध प्रदर्शन का माहौल पूरी तरह अनुशासित और शांतिपूर्ण रहा। कहीं कोई नारेबाज़ी या कानून व्यवस्था को चुनौती देने वाली स्थिति नहीं बनी। लोगों ने तख्तियों और बैनरों के माध्यम से अपनी बात रखी, जिन पर लिखा था – “संविधान सर्वोपरि है”, “हम अपने अधिकारों की रक्षा करेंगे” और “वक्फ संशोधन बिल रद्द करो”।
प्रदर्शन के दौरान कई सामाजिक कार्यकर्ताओं और अधिवक्ताओं ने अपने विचार रखे। उनका कहना था कि इस प्रकार के कानून नागरिक स्वतंत्रता के मूलभूत सिद्धांतों के विरुद्ध हैं।
प्रदर्शनकारियों की मुख्य माँगें इस प्रकार थीं:
वक्फ संशोधन बिल 2024 को तुरंत प्रभाव से रद्द किया जाए।
संविधान के अनुच्छेद 300A के अंतर्गत नागरिकों के संपत्ति अधिकारों की रक्षा सुनिश्चित की जाए।
देश के सभी नागरिकों को समान अधिकार मिले – किसी को भी विशेष भूमि या अधिकार प्रदान न किए जाएं।
वक्फ बोर्ड द्वारा संपत्तियों के दावों की पारदर्शी और कानूनी समीक्षा हो।
ऐसे सभी कानून रद्द किए जाएं जो नागरिकों की संपत्ति पर बिना न्यायिक प्रक्रिया के दावा करते हों।
इस शांतिपूर्ण आंदोलन में भाग लेने वाले प्रमुख समाजसेवी और नेता थे:
एडवोकेट खालिद शेख, अनवर सिद्दीकी, एजाज़ शेख, सलीम ख़ान, अब्दुल रहीम शेख, अल्ताफ़ शेख, मोईन अजमेरी, साबिर भाई, जावेद भाई, असलम अंसारी, नईम शेख, निसार भाई, अख्तर बंगाली।
धार्मिक और सामाजिक नेतृत्व में योगदान देने वालों में शामिल रहे:
मौलाना शाबान, ज़ाहिद भाई, मौलाना बशारत नूरी, इमरान नूरी।
समाज के बुद्धिजीवियों ने इस आंदोलन की सराहना करते हुए कहा कि इस प्रकार का जागरूक और संवैधानिक विरोध लोकतंत्र की नींव को मजबूत करता है। उन्होंने सभी नागरिकों से आग्रह किया कि वे अपने अधिकारों की जानकारी रखें और किसी भी अन्याय के खिलाफ एकजुट होकर खड़े हों।
प्रदर्शन का समापन “संविधान की रक्षा करो, अपने अधिकारों की रक्षा करो” जैसे ज़ोरदार नारों और एकजुटता के संकल्प के साथ हुआ।