सरकार को फिर याद आई स्कूल बसों की सुरक्षा! …क्या नई गाइडलाइंस से बदलेगी तस्वीर……….
मुंबई..महाराष्ट्र सरकार एक बार फिर स्कूल बसों की सुरक्षा को लेकर नई गाइडलाइंस लागू करने जा रही है। रिपोर्ट के अनुसार, प्रस्तावित नियमों में अब पैनिक बटन, सीसीटीवी कैमरे, जीपीएस ट्रैकिंग सिस्टम और फायर-सप्रेशन उपकरण जैसे फीचर अनिवार्य किए जा सकते हैं। साथ ही परिवहन शुल्क मासिक रूप में लिया जाए, इसकी मांग पर भी विचार हो रहा है।
हालांकि, सवाल उठता है कि क्या ये बदलाव बच्चों की सुरक्षा की तस्वीर बदल पाएंगे? क्योंकि यह पहली बार नहीं है, जब इस विषय पर गाइडलाइंस जारी की जा रही हैं। इससे पहले भी कई बार सरकारें निर्देश जारी कर चुकी हैं, लेकिन उन निर्देशों का क्रियान्वयन कभी सख्ती से नहीं हो पाया।
हाल के कुछ हादसों ने फिर से इस मुद्दे को गंभीर बना दिया है। कहीं बच्चों से छेड़छाड़ की घटनाएं सामने आईं तो कहीं बिना परमिट या अयोग्य स्टाफ के चलते बसें दुर्घटनाग्रस्त हुईं। कई अभिभावकों का कहना है कि वे अब अपने बच्चों को डर के साथ स्कूल भेजते हैं, क्योंकि भरोसा करने के लिए जमीन पर कुछ नहीं दिखता।
स्कूल बस मालिकों की राय बंटी हुई है। कुछ का कहना है कि नियम पहले से मौजूद हैं, जरूरत है तो बस उन्हें ईमानदारी से लागू करने की। उनका मानना है कि नए नियमों से ऑपरेशनल खर्च बढ़ेगा, जबकि असली समस्या अवैध ऑटो और निजी वैन हैं, जिन्हें कोई नहीं रोकता। बच्चों की सुरक्षा न तो कोई राजनीति का मुद्दा है, न कागजों पर लिखी नीति। यह हर माता-पिता का सपना और हर प्रशासन की जिम्मेदारी है।