जय हिंद सैनीक संस्था द्वारा अंधेरी में आज़ाद हिंद फौज़ की 82 वीं वर्षगांठ के मौके पर एक कार्यक्रम किया गया। 21 ऑक्टोबर को नहीं तो 15 औगस्ट के भी नहीं : चंद्र कुमार बोस

Shoaib Miyamoor
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जय हिंद सैनीक संस्था द्वारा अंधेरी में आज़ाद हिंद फौज़ की 82 वीं वर्षगांठ के मौके पर एक कार्यक्रम किया गया।

21 ऑक्टोबर को नहीं तो 15 औगस्ट के भी नहीं : चंद्र कुमार बोस

संववाददाता शोएब म्यानुंर मुंबई

मुंबई : मुंबई के अंधेरी इस्ट जे बी नगर चकाला के श्री निवास बगरका जुनियर कॉलेज ऑफ आर्ट्स कॉमर्स एंड साइंस में तारीख 28 ऑक्टोबर 2025 को जय हिंद सैनीक संस्था द्वारा अंधेरी में आज़ाद हिंद फौज़ की 82 वीं वर्षगांठ के मौके पर एक सम्मानित कार्यक्रम किया गया।
और स्कूल के बच्चों को नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के बारे में जानकारी प्राप्त कराई गई।

प्रोग्राम का आगाज़ जय हिंद सैनीक संस्था के महाराष्ट्र प्रदेश उपाध्यक्ष आकाश घरत, और नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के पोते चंद्रकुमार बोस के हाथों से राष्ट्र ध्वज लहेराकर किया गया।

इस मौके पर जय हिंद सैनीक संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष पंजाबराव मुधाने, ने आए हुए सभी महेमानों का शोल पहेनाकर पुष्प गुच्छ देकर स्वागत किया।
और बाद में जय हिंद सैनीक संस्था में अच्छा कार्य करने वाले सैनीकों को “राष्ट्र भक्त” पुरस्कार से सम्मानित किया गया। जिसमें जय हिंद सैनीक संस्था के महाराष्ट्र प्रदेश उपाध्यक्ष आकाश घरत के साथ कई लोगों को “राष्ट्र भक्त” पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

नेताजी सुभाष चन्द्र बोस के पोते चंद्रकुमार बोस ने बताया कि नेताजी सुभाष चन्द्र बोस ने भारत देश को आजाद कराने के लिए आज़ाद हिंद फौज़ तैयार की भारत को अंग्रेजों से आज़ाद कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है
आज़ाद हिन्द फौज का गठन पहली बार 1942 में हुआ था। मूल रूप से उस वक्त यह आजाद हिन्द सरकार की सेना थी, जिसका लक्ष्य अंग्रेजों से लड़कर भारत को स्वतंत्रता दिलाना था।
नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने “दिल्ली चलो” का यह नारा 1943 में सिंगापुर से दिया गया था, जिसका अर्थ था कि ब्रिटिश शासन से देश को आजाद कराने के लिए दिल्ली की ओर कूच करना है।
दिल्ली के लाल क़िले में जब आज़ाद हिन्द फ़ौज़ के जाँबाज सिपाहियों पर अंग्रेज़ी हुकूमत मुक़दमा चला रही थी तो हिंदुस्तानियों का यह नारा उन वीरों के लिए सम्मान के साथ ही कौमी एकता का भी एक प्रतीक बन गया था जहाँ नेताजी की फ़ौज़ के हिन्दू, सिख और मुसलमान कमांडर एकसाथ खड़े थे कटघरे में। इन्हीं में से एक जनरल शाहनवाज़ खान भी शामिल थे।
उन्होंने बताया कि आज मौजूदा सरकार सबकुछ भुला बैठी है, इतिहास के कीसी पन्नों पर कोई जिक्र नहीं है। उन्होंने कहा कि 2018 में भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी द्वारा दिल्ली के लाल किले में 21 ऑक्टोबर को राष्ट्र ध्वज लहेराया गया था आज देश को चाहिए कि हर साल 21 ऑक्टोबर को राष्ट्र ध्वज लेहराया जाए, नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की प्रतिमा लगाई जाए और नेताजी सुभाष चन्द्र बोस का एक म्यूजियम भी बनाया जाए और स्कूल की किताबों में इसका इतिहास भी दोहराया जाए, आज भी नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की अस्थियां जापान में संभाल कर रखी हुई है उन्हें भारत लाना चाहिए और जब तक “21 ऑक्टोबर राष्ट्र ध्वज नहीं लहाराया जाए् तो 15 औगस्ट भी नहीं लहराना चाहिए” हम मौजूदा सरकार से अनुरोध कर रहे हैं की नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की विचारधारा को बढ़ावा देने की देश को जरूरत है।

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