बुरहानपुर से मुंगेर तक: मुंबई में बढ़ते अवैध हथियारों की तस्करी का खुलासा

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खुफिया तंत्र कमजोर, 2024 में 1455 जिंदा कारतूस और 157 हथियार जब्त

मुंबई में अवैध हथियारों की तस्करी एक गंभीर समस्या बन गई है। शहर में बढ़ते अपराध और लगातार बढ़ रही हथियारों की संख्या ने मुंबई पुलिस और प्रशासन को चुनौती दी है। पिछले कुछ वर्षों में, अवैध हथियारों की तस्करी और उनके उपयोग में बढ़ोतरी ने कानून व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं।

मुंबई पुलिस के आंकड़ों के अनुसार, इस साल अक्टूबर तक 128 मामले दर्ज किए गए हैं। इनमें 157 अवैध हथियार और 1455 जिंदा कारतूस जब्त किए गए हैं। इसके साथ ही 122 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। जब्त किए गए हथियारों में 46 देशी रिवॉल्वर, 99 देशी पिस्तौल और 11 विदेशी हथियार शामिल हैं। इन विदेशी हथियारों में तुर्की और ऑस्ट्रियाई ग्लॉक मॉडल की पिस्तौल भी शामिल हैं, जिनका इस्तेमाल एनसीपी नेता बाबा सिद्दीकी की हत्या में किया गया था। पिछले कुछ वर्षों के आंकड़ों से तुलना करें तो 2024 में दर्ज मामलों और जब्त हथियारों की संख्या में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है:

  • 2020: 80 मामले, 87 हथियार, 255 कारतूस
  • 2021: 79 मामले, 109 हथियार, 331 कारतूस
  • 2022: 61 मामले, 86 हथियार, 286 कारतूस
  • 2023: 67 मामले, 77 हथियार, 254 कारतूस

इन आंकड़ों के मुकाबले 2024 में दर्ज 128 मामले और 1455 कारतूस की जब्ती पुलिस और प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती है।

अवैध हथियारों की तस्करी के स्रोत
जांच में पाया गया है कि मुंबई में आने वाले अवैध हथियारों का बड़ा हिस्सा मध्य प्रदेश के बुरहानपुर और बिहार के मुंगेर जैसे इलाकों से आ रहा है। ये स्थान अवैध हथियार निर्माण के बड़े केंद्र माने जाते हैं, जहां पिस्तौल और रिवॉल्वर 10,000 से 15,000 रुपये में उपलब्ध हैं। महाराष्ट्र की सीमा से नजदीक होने के कारण बुरहानपुर मुंबई के लिए एक प्रमुख सप्लाई सेंटर बन गया है। विदेशी हथियारों की तस्करी के लिए पाकिस्तान से सटी राजस्थान सीमा का इस्तेमाल किया जाता है। यहां से हथियार सुरंगों और ड्रोन के जरिए भारत लाए जाते हैं। इन हथियारों का उपयोग मुख्य रूप से चोरी, हत्या और धमकी जैसे अपराधों में किया जा रहा है।

मुंबई पुलिस की खुफिया विफलत
इस साल की शुरुआत में बॉलीवुड अभिनेता सलमान खान के घर के बाहर हुई गोलीबारी और एनसीपी नेता बाबा सिद्दीकी की हत्या जैसे मामलों ने मुंबई पुलिस की खुफिया तंत्र की कमजोरी को उजागर किया है। बिश्नोई गिरोह के शूटरों ने न केवल शहर में हथियारों की तस्करी की, बल्कि हत्या के लिए एक महीने तक रेकी भी की।

मुंबई पुलिस कमिश्नर विवेक फनसालकर ने इन घटनाओं के बाद लोकल इंटेलिजेंस को मजबूत करने और एंट्री प्वाइंट्स पर निगरानी बढ़ाने के निर्देश दिए हैं। मुंबई में अवैध हथियारों की बाढ़ न केवल पुलिस की नाकामी को दर्शाती है, बल्कि प्रशासन और सरकार के कामकाज पर भी सवाल खड़े करती है। अवैध हथियारों की तस्करी रोकने के लिए अब तक के प्रयास नाकाफी साबित हुए हैं।

  • क्या सरकार तस्करी के प्रमुख केंद्रों पर कड़े कदम उठाने में नाकाम रही है?
  • क्या सुरक्षा एजेंसियां तस्करों पर लगाम लगाने में असफल हैं?
  • क्या खुफिया तंत्र में सुधार की आवश्यकता नहीं है? मुंबई पुलिस का कड़ा रुख

कमिश्नर विवेक फनसालकर ने सभी वरिष्ठ अधिकारियों को कड़े कदम उठाने और लोकल इंटेलिजेंस मजबूत करने के निर्देश दिए हैं। हालांकि, यह स्पष्ट है कि समस्या के मूल तक पहुंचने के लिए राज्य और केंद्र सरकार को समन्वय के साथ काम करना होगा। मुंबई में अवैध हथियारों की तस्करी रोकने के लिए कड़े कदम उठाने की आवश्यकता है। बुरहानपुर और मुंगेर जैसे स्थानों पर नियमित छापेमारी, सीमा पर निगरानी बढ़ाने और खुफिया तंत्र को मजबूत करने के बिना यह समस्या हल नहीं होगी। प्रशासन और सरकार को तुरंत कार्रवाई करनी होगी, वरना यह संकट और भी विकराल रूप ले सकता है।

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