महाराष्ट्र ने कन्या भ्रूण हत्या से निपटने के लिए राज्य बोर्ड का पुनर्गठन किया…………

राज्य सरकार ने गर्भधारण पूर्व एवं प्रसव पूर्व निदान तकनीक (पीसी-पीएनडीटी) अधिनियम, 1994 के तहत अधिदेशित राज्य बोर्ड का पुनर्गठन किया है। बोर्ड का उद्देश्य लिंग निर्धारण परीक्षणों के विरुद्ध जागरूकता पैदा करना है, जिनमें गर्भधारण पूर्व और प्रसव पूर्व भ्रूण के लिंग का निर्धारण शामिल है, जो राज्य में कन्या भ्रूण हत्या में योगदान देता है।
महायुति सरकार द्वारा घोषित 27 सदस्यीय यह निकाय, महा विकास अघाड़ी (एमवीए) शासन के दौरान 2021 में नियुक्त बोर्ड का स्थान लेगा। लोक स्वास्थ्य मंत्री की अध्यक्षता में गठित इस बोर्ड में लोक स्वास्थ्य, शहरी विकास, विधि एवं न्यायपालिका, महिला एवं बाल विकास, सामाजिक न्याय और चिकित्सा शिक्षा के सचिवों के साथ-साथ स्वास्थ्य सेवा आयुक्त और स्वास्थ्य सेवा निदेशक भी शामिल हैं। राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष इसके पदेन सदस्य के रूप में कार्य करती हैं। बोर्ड में तीन विधायक, सुलभा खोडके, मंजुला गावित और एमएलसी चित्रा वाघ, सुधा कांकरिया, समाज विज्ञानी डॉ. निशिगंधा वाड, तीन स्त्री रोग विशेषज्ञ, डॉ. गीता पैला, डॉ. शोभा मोसेस, डॉ. प्रसाद मगर, दो बाल रोग विशेषज्ञ, डॉ. कुश झुनझुनवाला और डॉ. अमोल पवार, और दो रेडियोलॉजिस्ट, डॉ. अजय जाधव और डॉ. राजेंद्र रामेश्वर शामिल हैं।
बोर्ड का कार्यकाल तीन वर्ष का होता है और हर तीन महीने में इसकी बैठकें आयोजित की जाती हैं। इसके कार्यों में केंद्र सरकार को नीतिगत सलाह देना, अधिनियम के कार्यान्वयन की निगरानी करना और आनुवंशिक परामर्श केंद्रों, आनुवंशिक प्रयोगशालाओं और क्लीनिकों के लिए आचार संहिता स्थापित करना शामिल है।
