राशि जमा करने के बाद ही मिलेगी निर्माण की अनुमति……..

मुंबई…झोपड़पट्टी पुनवर्सन प्राधिकरण ने झुग्गीवासियों के रखरखाव शुल्क को ४० हजार से बढ़ाकर एक से तीन लाख रुपए करने का निर्णय लिया है। प्राधिकरण के इस प्रस्ताव को सरकार से मंजूरी मिल गई। इसके बाद अब बिल्डरों को प्रत्येक झुग्गीवासी को रखरखाव शुल्क के रूप में एक से तीन लाख रुपए देने पड़ेंगे, इसके बाद ही निर्माण की अनुमति दी जाएगी।
बता दें कि वर्तमान में डेवलपर को प्रत्येक झुग्गीवासी के लिए प्राधिकरण में रखरखाव शुल्क के रूप में ४०,००० रुपए जमा करने होते थे। अब इसे बढ़ाने का प्रस्ताव है और भवन की ऊंचाई के आधार पर १ से ३ लाख रुपए जमा करने होंगे। चूंकि प्रत्येक झुग्गीवासी के लिए ४०,००० रुपए बहुत कम राशि है, इसलिए पिछले कुछ वर्षों से इसमें वृद्धि की मांग की जा रही थी। अंतत: सरकार ने प्राधिकरण के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया। जिससे प्राधिकरण को रखरखाव शुल्क में निर्धारित राशि वसूलने का रास्ता साफ हो गया है।
नए प्रस्ताव के अनुसार यदि भवन की ऊंचाई ७० मीटर (२२ मजिल) है, तो प्रति झुग्गीवासी १ लाख रुपए जमा करने होंगे, यदि ७० से १२० मीटर (३६ मंज़िल) ऊंची है तो २ लाख रुपए और उससे ऊंची इमारत के लिए ३ लाख रुपए प्राधिकरण के पास जमा करने होंगे। जब तक यह राशि प्राधिकरण के पास जमा नहीं हो जाती, तब तक २५ प्रतिशत के निर्माण की अनुमति नहीं देने का का प्रस्ताव रखा गया है। जमा की गई राशि प्राधिकरण के माध्यम से झुग्गीवासियों की सहकारी आवास समिति को सौंप दी जाती है। इससे समिति के पास बिजली के बिल, साफ-सफाई, रखरखाव सहित अन्य छोटे-मोटे कामों के लिए यह राशि उपलब्ध रहती है।
वर्तमान में पुनर्वास इमारतों में दोष मरम्मत का उत्तरदायित्व विकासकर्ता को दस वर्षों के लिए सौंपा गया है। पहले यह दायित्व केवल तीन वर्षों के लिए था। इस अवधि के दौरान यदि संरचनात्मक दोष या बड़ी मरम्मत होती है, तो विकासकर्ता इसे करने के लिए बाध्य है। दस वर्षों के बाद यह जिम्मेदारी निवासियों की होती है।
