मुंबई: मुंबई उत्तर पश्चिम से सांसद रवींद्र वायकर ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान को पत्र लिखकर छत्रपति शिवाजी महाराज के जीवन और विरासत को केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) के पाठ्यक्रम में शामिल करने का आग्रह किया है। यह मांग शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक की 352वीं वर्षगांठ के अवसर पर की गई।
अपने पत्र में वायकर ने इस बात पर जोर दिया कि शिवाजी महाराज सभी भारतीयों के लिए राष्ट्रीय गौरव के प्रतीक हैं। स्कूली पाठ्यक्रम में उनके इतिहास को शामिल करने से आने वाली पीढ़ियों को भारत की समृद्ध ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत के बारे में जानने में मदद मिलेगी। वायकर ने कहा कि शिवाजी महाराज न केवल मराठा साम्राज्य के संस्थापक थे, बल्कि एक दूरदर्शी शासक, एक सक्षम प्रशासक और एक बहादुर योद्धा भी थे, जिन्होंने ‘स्वराज्य’ की नींव रखी।
उन्होंने आगे कहा कि शिवाजी महाराज का शासन मॉडल, सैन्य रणनीति और धर्मनिरपेक्ष प्रशासन प्रेरणा का स्रोत बना हुआ है। उनके जीवन का अध्ययन करने से छात्रों में नेतृत्व, देशभक्ति और सामाजिक एकता के मूल्य पैदा होंगे।
वाईकर ने माना कि सीबीएसई ने पहले भी अपने पाठ्यक्रम में विभिन्न ऐतिहासिक हस्तियों और घटनाओं की कहानियों को शामिल किया है, जो सराहनीय है। हालांकि, उन्होंने जोर देकर कहा कि शिवाजी महाराज के महत्वपूर्ण योगदान को भी पाठ्यपुस्तकों में उचित स्थान मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि आगामी शैक्षणिक वर्ष से सीबीएसई पाठ्यक्रम में उनकी विरासत को शामिल करना महान नेता के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी और इससे देश भर के छात्रों को भारत के विविध सांस्कृतिक इतिहास के बारे में गहरी जानकारी मिलेगी।
