सरकारी अभिलेखों में ‘मौत की हेराफेरी’! गोंडा में फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र बनाने का सनसनीखेज आरोप

Shoaib Miyamoor
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सरकारी अभिलेखों में ‘मौत की हेराफेरी’! गोंडा में फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र बनाने का सनसनीखेज आरोप

संवाददाता फरियाद अली

 

पूर्व बीडीसी सदस्य और प्रधान पर मिलीभगत से रजिस्टर में छेड़छाड़ का गंभीर मामला, जिलाधिकारी ने दिए जांच के आदेश

 

कर्नलगंज/गोंडा: सरकारी दस्तावेजों की पवित्रता और सुरक्षा पर सवाल खड़ा करते हुए, कर्नलगंज तहसील क्षेत्र के कटरा बाजार विकास खंड अन्तर्गत ग्राम कोटिया मदारा में सरकारी अभिलेखों में हेराफेरी का एक गंभीर मामला सामने आया है। एक व्यक्ति की मृत्यु तिथि बदलकर फर्जी प्रमाण पत्र जारी करने का आरोप लगा है।

 

क्या है पूरा मामला? ग्रामवासी देवी शंकर श्रीवास्तव ने जिलाधिकारी गोंडा को सौंपे गए एक प्रार्थना पत्र में पूर्व बीडीसी सदस्य गंगा प्रसाद पर ग्राम प्रधान और पूर्व सचिव दिनेश की मिलीभगत से परिवार रजिस्टर और मृत्यु रजिस्टर में गंभीर फर्जीवाड़ा करने का आरोप लगाया है।

 

शिकायत के अनुसार, मूल रूप से 3 जून 2006 को दर्ज एक व्यक्ति की मृत्यु तिथि को आरोपियों ने अवैध रूप से बदल दिया। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि 10 जून 2025 की तारीख में जारी किए गए फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र में मृत्यु की तिथि 25 जून 2008 दर्शाई गई है। यह फर्जी प्रमाण पत्र सोशल मीडिया पर भी वायरल किया गया है।

ओवरराइटिंग और पुराने आदेश का उल्लंघन प्रार्थी देवी शंकर श्रीवास्तव ने बताया कि फर्जीवाड़े का प्रयास केवल नए प्रमाण पत्र तक सीमित नहीं है, बल्कि परिवार रजिस्टर में 3 जून 2006 की मूल तिथि पर भी ओवरराइटिंग की गई है। उन्होंने यह भी बताया कि इस मामले में पहले भी शिकायत की जा चुकी थी, जिस पर तत्कालीन जिलाधिकारी ने सरकारी अभिलेखों में छेड़छाड़ न करने का स्पष्ट आदेश दिया था। इसके बावजूद, आरोपी गंगा प्रसाद ने दोबारा फर्जी प्रमाण पत्र जारी कर रजिस्टर में हेराफेरी का दुस्साहस किया।

 

जिलाधिकारी से तत्काल कार्रवाई की मांग देवी शंकर ने जिलाधिकारी को अभिलेखों की छायाप्रतियां सौंपते हुए फर्जी प्रमाण पत्र पर तत्काल रोक लगाने और ग्राम पंचायत के संबंधित रजिस्टरों को सील करने की मांग की है, ताकि और अधिक हेराफेरी को रोका जा सके।

 

प्रशासनिक स्तर पर जांच शुरू मामले की गंभीरता को देखते हुए, जिलाधिकारी कार्यालय ने इस पूरे प्रकरण की उच्च-स्तरीय जांच के लिए संबंधित अधिकारियों को निर्देश जारी कर दिए हैं।

 

आक्रोश और सवाल: इस सनसनीखेज घटना ने ग्राम पंचायत स्तर पर भ्रष्टाचार और सरकारी अभिलेखों की सुरक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। ग्रामीणों में इस फर्जीवाड़े को लेकर गहरा आक्रोश है और वे दोषी बीडीसी सदस्य, ग्राम प्रधान और सचिव के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। प्रशासन की जांच रिपोर्ट आने के बाद ही इस पूरे नेक्सस का खुलासा हो पाएगा।

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