“वर्ल्ड इंटरनैशनल योगा दिवस”
अमृता फडणवीस ने इस योग दिवस पर महिला शशक्तिकरण को बढ़ावा दिया।
अर्जुन कपूर और नुसरत भरुचा के साथ 1000 महिलाओ संग योगशक्ति को किया सलाम !

संववाददाता शोएब म्यानुंर मुंबई
“जब हम प्रार्थना में, योग में, एकजुटता में हाथ मिलाते हैं – तो हम व्यक्तिगत रूप से नहीं बल्कि एक लचीले भारत के रूप में उभरेंगे।” – अमृता देवेंद्र फडणवीस
इस अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर, डोम एसवीपी स्टेडियम, वर्ली में आत्मा और शक्ति का एक अनोखा मेल देखते बना।इस पहल का नेतृत्व अमृता देवेंद्र फडणवीस और उनका एनजीओ, दिव्यज फाउंडेशन ने किया, जो 1,000 से अधिक वंचित महिलाओं – बीएमसी सफाईकर्मी, अस्पताल कर्मचारी, ट्रांसजेंडर नागरिक, व्यावसायिक प्रशिक्षु और आदि ऐसी तमाम तपको की महिलाओं को योग मैट से कहीं आगे तक फैले उपचार के उत्सव के लिए एकत्रित किया।
अमृता फडणवीस ने बॉलीवुड अभिनेता अर्जुन कपूर और नुसरत भरुचा को इस योग दिवस में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया था, जिनकी उपस्थिति से इस योग सभा मे एक नई उतेजना समाहित हो गयी ।
अर्जुन कपूर ने कहा कि “योग हमें सिर्फ़ हमारी सांसों से ही नहीं, बल्कि एक-दूसरे से भी जोड़ता है। मुझे इस पहल का समर्थन करते हुए गर्व हो रहा हैं जो उन महिलाओं की ताकत का सम्मान करती है, जिनके अमूल्य योगदान से कोई अनछुआ नही हैं ।”
नुसरत बरूचा कहती हैं कि “सशक्तिकरण सहानुभूति से शुरू होती है। इतनी सारी महिलाओं को अनुग्रह और लचीलेपन में एकजुट होते देखना दिल को छू लेने वाला है।”
योग दिवस की शुरुआत मिट्टी के सितारे के बच्चों द्वारा एक भावपूर्ण गणेश वंदना से हुई, जिनकी संगीत प्रतिभा को दिव्यज फाउंडेशन ने वर्षों से पोषित किया है। इसके बाद समग्र स्वास्थ्य गुरु डॉ. मिकी मेहता द्वारा तैयार एक गहन आकर्षक योग सत्र हुआ। उन्होंने कहा कि, “योग सिर्फ़ कसरत नहीं हैं – यह एक कार्य हैं।”और जब ये सेवा के साथ किया जाता है, तो यह जादू बन जाता है।”
योग मे सिर्फ़ आसन ही नहीं बल्कि जागरूकता भी शामिल हुई- देशभक्ति, ध्यान, स्वास्थ्य और स्वच्छता, भावनात्मक कल्याण और वित्तीय साक्षरता पर मॉड्यूल प्रतिभागियों को मैट से परे सशक्त बनाए गए। पहलगाम के शहीदों को श्रद्धांजलि देते हुए अमृता फडणवीस ने कहा कि, “शोक की छाया में हम निराशा में नहीं बल्कि संकल्प के साथ एकत्र हुए- हमारी चटाई प्रार्थना स्थल बन गयी, हमारे हाथ शक्ति के पुल बन गए।
मुंबई के नगर आयुक्त, श्री भूषण गगरानी, आईएएस, इसे “एक सुंदर अनुस्मारक कहते हैं कि स्वास्थ्य एक अधिकार है, विलासिता नहीं।” स्वास्थ्य किट वितरित किए जाने और हर पल में सामुदायिक भावना के साथ, यह योग दिवस एक आयोजन से कहीं अधिक बन गया – यह एक आंदोलन, एक स्मृति और दिल, सद्भाव और मानवता से जुड़ी आशा का संदेश बन गया।
