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लोकसभा चुनाव के पहले चरण का नामांकन खत्म होने और दूसरे चरण का नामांकन शुरू होने के बाद बिहार में भारतीय जनता पार्टी एनडीए गठबंधन के घटक दलों और उसके नेताओं के बीच गांठ का इलाज करने लगी है। 2020 के विधानसभा चुनाव के बाद से मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और जेडीयू के कट्टर आलोचक बनकर उभरे लोजपा-रामविलास के अध्यक्ष चिराग पासवान को लेकर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष व डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी और मंत्री मंगल पांडेय गुरुवार की शाम मुख्यमंत्री आवास पहुंचे। इस मुलाकात की फोटो आई है जिसमें चिराग के कंधे पर दोनों हाथ डाले नीतीश कुमार मंद-मंद मुस्कुरा रहे हैं तो चिराग खिलखिला रहे हैं। सारे घटक दलों को अपनी सीट पर सहयोगी दलों के वोट की जरूरत है इसलिए बीजेपी ने एनडीए में दूर-दूर से चल रहे नीतीश और चिराग की दूरियां पाटने का टास्क उठाया है।
बिहार फर्स्ट, बिहारी फर्स्ट का नारा देकर नीतीश के सात निश्चय पर सवाल उठाने वाले चिराग और नीतीश का मिलाप निश्चित रूप से बीजेपी और एनडीए के दूसरे दल हम और रालोमो के लिए राहत की बात होगी। 2020 के विधानसभा चुनाव में चिराग पासवान ने लोजपा को एनडीए से अलग कर लिया और बिहार की 134 सीटों पर चुनाव लड़ गए। चिराग ने तब ज्यादातर जेडीयू की सीटों पर कैंडिडेट दिए थे और उनकी पार्टी के कई कैंडिडेट ऐसे थे जो ठीक चुनाव के मौके पर बीजेपी से आए थे। चिराग नरेंद्र मोदी की फोटो लगा रहे थे जिसका जेडीयू और बीजेपी ने विरोध किया था। चिराग खुद को मोदी का हनुमान कह रहे थे जिससे जेडीयू चिढ़ रही थी।
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विधानसभा चुनाव के नतीजों में चिराग के अलग लड़ने और खास तौर पर जेडीयू की सीटों पर लड़ने का असर दिखा। 115 सीटें लड़ी जेडीयू विधानसभा में 43 सीट के साथ तीसरे नंबर की पार्टी हो गई जबकि 110 सीटें लड़कर ही बीजेपी 74 सीट जीतकर दूसरे नंबर की पार्टी बनी। 75 सीट के साथ आरजेडी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी।
चिराग की एनडीए में बगावत जेडीयू को महंगी पड़ी। अक्टूबर 2021 में लोजपा में चिराग को छोड़कर बाकी 5 सांसदों के साथ नई पार्टी बनाकर केंद्र में मंत्री बने चाचा पशुपति पारस के पीछे चिराग कैंप ने जेडीयू का हाथ माना था। तब कहा गया था कि जेडीयू के इशारे पर पार्टी तोड़ी गई और उसे फटाफट मान्यता वगैरह भी मिल गया। आगे चलकर चिराग का बंगला भी खाली करवा लिया गया। लेकिन लोकसभा चुनाव में पारस के बदले चिराग की उपयोगिता भाजपा समझ गई और उसने सीट बंटवारे में चिराग की छह में पांच सीटें दे दी। पारस को ना हाजीपुर मिला, ना उनके साथ गए पांच सांसदों की कोई सीट। रालोजपा अब भंवर में है।