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बात 2004 की है। उन दिनों माफिया डॉन मुख्तार अंसारी की ऐसी सियासी धाक थी कि वह मऊ दंगों के दौरान कर्फ्यू लागू होने के बावजूद खुली जीप में घूमा करता था और उसके अंदर मशीनगन लहराया करता था। उसे तत्कालीन मुलायम सिंह यादव सरकार का कथित आशीर्वाद और संरक्षण हासिल था। इसलिए कोई भी पुलिस अधिकारी उस पर हाथ डालने की हिमाकत नहीं करता था। दरअसल, एक साल पहले ही मुलायम सिंह की अल्पमत सरकार को मुख्तार अंसारी ने अपना समर्थन देकर बचाया था। इस वजह से वह मुलायम सिंह का करीबी हो गया था और इसका वह नाजायज फायदा उठा रहा था।
जनवरी 2004 की उस घटना का जिक्र करते हुए एसटीएफ के तत्कालीन डीएसपी शैलेंद्र सिंह ने कहा कि 20 साल पहले मऊ और आसपास के इलाकों में मुख्तार अंसारी का आतंक और दहशत का आलम चरम पर था। उन्होंने समाचार एजेंस ANI को बताया, “20 साल पहले दंगों के दौरान जब मऊ में कर्फ्यू लगा हुआ था, तब मुख्तार अंसारी अपने गुर्गों संग खुली जीप में घूम रहा था। उसके अंदर से वह लाइट मशीनगन भी लहरा रहा था। तब मैंने उसे मशीनगन के साथ गिरफ्तार कर लिया था और उस पर पोटा ( Prevention of Terrorism Act- POTA) भी लगाया था।”
बकौल शैलेंद्र सिंह, “मुलायम सिंह किसी भी सूरत में मुख्तार अंसारी को बचाना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने अधिकारियों पर खूब दबाव डाले। यहां तक कि उन्होंने आईडी, डीआईजी और एसटीएफ एसपी का तबादला कर दिया था और मुझे भी 10 दिनों के अंदर अपने पद से इस्तीफा देने को मजबूर कर दिया गया था।”
पूर्व डीएसपी ने कहा कि उन्होंने तब अपने इस्तीफे में इसकी चर्चा भी की। उन्होंने कहा, “त्याग पत्र में मैंने इस्तीफा देने का कारण भी लिखा और लोगों के सामने यह बात रखी थी कि यह वही सरकार है जिसे आपने चुना है,लेकिन वह माफियाओं को संरक्षण दे रही है और उनके आदेश पर काम कर रही है।” सिंह ने अपने इस्तीफे में यह भी बताया कि वह माफिया डॉन को गिरफ्तार कर सिर्फ अपनी ड्यूटी निभा रहे थे।
उस वक्त शैलेंद्र सिंह एसटीएफ की वाराणसी यूनिट के प्रभारी डिप्टी एसपी थे। ये वही शख्स थे जिन्होंने बीजेपी विधायक कृष्णानंद राय की हत्या से पहले मुख्तार अंसारी के एलएमजी खरीदने का पर्दाफाश किया था। शैलेंद्र सिंह ने जब मुख्तार के पास से एलएमजी बरामद की तो हंगामा मच गया था। उस वक्त भी उन्हें इसकी कीमत चुकानी पड़ी थी। एलएमजी बरामदगी के कुछ दिनों बाद ही शैलेंद्र सिंह के खिलाफ डीएम ऑफिस के एक कर्मचारी से मारपीट के मामले में उन्हें जेल भेज दिया गया था।