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पत्नी का बार-बार ससुराल छोड़कर जाना क्रूरता है। हाईकोर्ट ने अपने एक आदेश में यह टिप्पणी की। दिल्ली हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि पति की गलती के बिना पत्नी का समय-समय पर वैवाहिक घर (ससुराल) छोड़ना मानसिक क्रूरता का कार्य है। इसी के साथ न्यायमूर्ति सुरेश कुमार कैत और न्यायमूर्ति नीना बंसल कृष्णा की खंडपीठ ने पत्नी द्वारा क्रूरता और परित्याग के आधार पर पति को तलाक की मंजूरी दे दी। कोर्ट ने हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 की धारा 13 (1) (i-a) और 13 (1) (i-b) के तहत तलाक को मंजूरी दी है।
लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, कोर्ट ने कहा, “यह एक स्पष्ट मामला है। पत्नी अपने पति की बिना किसी गलते के समय-समय पर वैवाहिक घर छोड़कर चली जाती थी। पत्नी द्वारा समय-समय पर इस तरह का कदम उठाना मानसिक क्रूरता का कार्य है। पति को बिना किसी कारण या औचित्य के इस क्रूरता का सामना करना पड़ा।”
इसके साथ पीठ ने विवाह के पवित्र बंधन पर भी अहम टिप्पणी की। पीठ ने कहा कि विवाह आपसी सहयोग, समर्पण और निष्ठा की उपजाऊ भूमि पर फलता-फूलता है, लेकिन निरंतर तूफान की तरह बार-बार अलग होने की हरकतें, इसकी नींव को उखाड़ देती हैं और रिश्ते की पवित्रता को खतरे में डालती हैं। अदालत ने कहा, “दूरी और त्याग के तूफान के बीच, यह बंधन टूट जाता है। इसे फिर सुधारा नहीं जा सकता। यह विश्वास और प्रतिबद्धता के इस रिश्ते पर अपूरणीय घाव छोड़ जाता है।”
इस दंपति की शादी 1992 में हुई थी और उनके एक लड़का और एक लड़की है। इससे पहले फैमिली कोर्ट ने पति की तलाक की याचिका खारिज कर दी थी। पति ने दावा किया कि उसकी पत्नी के अंदर संयम नहीं है और वह अस्थिर स्वभाव की है। वह बहुत जुल्म करती है। पति ने कहा कि साल 2011 सहित कम से कम सात मौकों पर वह ससुराल छोड़कर चली गई।
फैमिली कोर्ट के बाद पति ने हाईकोर्ट में अपील की जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया। हाईकोर्ट की पीठ ने कहा कि पति की ओर से क्रूरता का कोई कार्य नहीं किया गया था। पीठ ने कहा कि पूरे सबूतों से पता चलता है कि पत्नी अपनी मां के आचरण से असंतुष्ट थी, जिससे वह वैवाहिक घर में इतनी दुखी थी कि उसे नियंत्रण और सम्मान की कमी महसूस हुई।
पीठ ने कहा, “हमने पति द्वारा पेश किए गए बहुत सारे सबूत देखे हैं। उनसे पता चलता है कि पति को अनिश्चितता के भंवर में ढकेला गया। 20 साल साथ बिताने के बावजूद वैवाहिक जीवन में कोई समझौता और मानसिक शांति नहीं थी। यह अपीलकर्ता पति के लिए मानसिक पीड़ा का मामला है, जो अधिनियम की धारा 13(1)(ia) के तहत क्रूरता के आधार पर उसे तलाक का अधिकार देता है।”
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