मुंबई के मुस्लिम बुद्धिजीवियों के प्रतिनिधिमंडल की महाराष्ट्र राज्य अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष माननीय प्यारे खान साहब से महत्वपूर्ण मुलाकात
26 फरवरी 2025 की दोपहर, महाराष्ट्र राज्य अल्पसंख्यक आयोग के कार्यालय, मुंबई में एक महत्वपूर्ण और उद्देश्यपूर्ण बैठक आयोजित की गई।
इस बैठक में मुस्लिम बुद्धिजीवियों के एक प्रतिष्ठित प्रतिनिधिमंडल ने भाग लिया, जिसमें स्कूलों के प्रिंसिपल, बीएमसी स्कूलों के शिक्षक, पत्रकार, शिक्षाविद, सामाजिक कार्यकर्ता और वकील शामिल थे।
इस प्रतिनिधिमंडल ने महाराष्ट्र राज्य अल्पसंख्यक आयोग के अध्यक्ष, माननीय प्यारे खान साहब से मुलाकात की और मुस्लिम शैक्षिक संस्थानों को आने वाली चुनौतियों, उर्दू स्कूलों की समस्याओं और उर्दू व अरबी भाषा के संरक्षण जैसे महत्वपूर्ण विषयों पर विस्तृत चर्चा की।
यह बैठक अल्पसंख्यक स्कूलों की बिगड़ती स्थिति, शैक्षिक अवसरों की कमी और उनके समक्ष मंडराते संभावित खतरों के मद्देनज़र आयोजित की गई थी। प्रतिनिधिमंडल ने उर्दू स्कूलों के बंद होने के बढ़ते खतरे पर प्रकाश डाला, जो न केवल शैक्षिक दृष्टि से हानिकारक है बल्कि हमारी भाषाई और सांस्कृतिक विरासत के लिए भी गंभीर खतरा है।
इसके अलावा, इन शैक्षिक संस्थानों को मिलने वाले सीमित वित्तीय संसाधनों और मान्यता प्राप्त करने में आ रही बाधाओं पर भी चर्चा हुई। एक महत्वपूर्ण प्रश्न यह उठाया गया कि अल्पसंख्यक आयोग इन स्कूलों को सशक्त बनाने में क्या भूमिका निभा सकता है?
माननीय प्यारे खान साहब ने प्रतिनिधिमंडल की सभी बातों को बहुत गंभीरता से सुना और उनके विचारों का सकारात्मक उत्तर दिया। उन्होंने उर्दू स्कूलों को और अधिक बेहतर बनाने और उनके भविष्य को सुरक्षित रखने पर ज़ोर दिया। इसके साथ ही, उन्होंने अरबी भाषा को शैक्षिक पाठ्यक्रम में आधिकारिक रूप से शामिल करने का सुझाव भी दिया और कहा कि यह भाषा अल्पसंख्यक समुदाय के धार्मिक और आर्थिक भविष्य के लिए अत्यधिक लाभदायक है।
उन्होंने इस बात को भी रेखांकित किया कि उर्दू और अरबी केवल भाषाएँ नहीं हैं, बल्कि हमारी संस्कृति और पहचान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, जिनका संरक्षण आज के समय की महत्त्वपूर्ण आवश्यकता है।
इसी बीच, प्रतिनिधिमंडल ने अल्पसंख्यक शैक्षिक संस्थानों, विशेष रूप से उर्दू माध्यम स्कूलों के खिलाफ चल रही मुहिम के बारे में भी पूछताछ की। इस पर माननीय प्यारे खान साहब ने स्पष्ट शब्दों में जवाब देते हुए कहा कि उनका उद्देश्य सभी स्कूलों के विकास और सुरक्षा को सुनिश्चित करना है। हालांकि, कुछ स्कूल प्रशासन के खिलाफ मिली शिकायतों की जाँच की जा रही है और किसी भी स्थिति में शिक्षकों के शोषण को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने आगे कहा कि हमारी क़ौम के बच्चों को आगे बढ़ाना हमारी प्राथमिकता है, ताकि वे डॉक्टर, इंजीनियर और सरकारी विभागों में उच्च पदों पर पहुँच सकें। इसके लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की उपलब्धता अनिवार्य है। उन्होंने यह भी दोहराया कि शैक्षिक संस्थानों में सुधार लाने की दिशा में लगातार प्रयास किए जा रहे हैं, और अल्हम्दुलिल्लाह, इन प्रयासों के सकारात्मक परिणाम भी सामने आ रहे हैं।
इस महत्वपूर्ण बैठक में शामिल प्रतिष्ठित हस्तियों में शामिल थे:
जनाब महमूद खान साहब (पूर्व शिक्षा अधिकारी, म्युनिसिपल कॉरपोरेशन, मुंबई)
जनाब जावेद अंसारी साहब (टीचर्स एसोसिएशन, म्युनिसिपल कॉरपोरेशन, मुंबई)
मुफ्ती इनामुल्लाह खान (चेयरमैन, अल-हिरा इंग्लिश हाई स्कूल, मलाड, मुंबई)
श्रीमती शबाना खान साहिबा (प्रिंसिपल, वी के इंग्लिश स्कूल, गोवंडी)
जनाब आबिद सर (प्रिंसिपल,
अंजुमन इंग्लिश स्कूल, गोरेगाँव)
जनाब राशिद अज़ीम साहब (निदेशक, आमना सामना मीडिया)
एडवोकेट महबूब मोमिन साहब (मलाड)
जनाब गुलाम नबी इदरीसी साहब
सोशल एक्टिविस्ट मुंबई
जनाब रफीक शेख़ साहब
सहाफी उर्दू टाइम्स
श्रीमती शाहीन पटेल जी (संपादक, ख़बरों से आमना सामना, मुंबई)
तथा अन्य सम्मानित हस्तियाँ भी इस बैठक में उपस्थित थीं।
यह बैठक अल्पसंख्यक समुदाय के शैक्षिक मुद्दों के जल्द ही देखने को मिलेंगे।