अजित दादा का 100 करोड़ का वादा, चाचा के विधायकों के साथ बैठक का दौर, संपर्क में कौन, क्या ऑफर?…….
Maharashtra Politics: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में महायुति को जीत मिली। महाविकास अघाड़ी को करारी हार का सामना करना पड़ा। अजित पवार अब शरद पवार के विधायकों को अपनी पार्टी में लाने की कोशिश कर रहे हैं। इसमें वे 100 करोड़ रुपये का विकास निधि देने का वादा कर रहे हैं।……
मुंबई: लोकसभा चुनाव में मिली हार के बाद महायुति ने विधानसभा चुनाव में वापसी की। उन्होंने 237 सीटें जीतीं। वहीं महाविकास अघाड़ी को करारी हार मिली और उन्हें 50 सीटें भी नहीं मिलीं। विधानसभा चुनाव के बाद विपक्ष का प्रभाव कम दिखा। NCP के अध्यक्ष शरद पवार अभी सक्रिय नहीं दिख रहे हैं। वहीं जयंत पाटिल के BJP में जाने की चर्चा है। शरद पवार के कई विधायक अजित पवार की NCP के संपर्क में हैं। अजित पवार विकास के मुद्दे पर महायुति के साथ गए थे। अब वे शरद पवार के विधायकों को भी इसी मुद्दे पर अपने साथ लाने की कोशिश कर रहे हैं। अजित पवार उन्हें विकास के लिए फंड का वादा दे रहे हैं।
शरद पवार के विधायकों को NCP में शामिल होने का दे रहे प्रस्ताव
‘द न्यू इंडियन एक्सप्रेस’ की खबर के अनुसार, अजित पवार शरद पवार के विधायकों को NCP में शामिल होने का प्रस्ताव दे रहे हैं। वे उन्हें उनके क्षेत्र के विकास के लिए भरपूर फंड देने का वादा कर रहे हैं। शरद पवार के पास विधानसभा में केवल 10 विधायक हैं। अगर अजित पवार को दल-बदल कानून से बचना है, तो उन्हें 7 विधायकों को अपने साथ लाना होगा। अजित पवार का ध्यान सोलापुर पर है। सोलापुर ने शरद पवार को 4 विधायक दिए हैं। ये विधायक हैं: अभिजीत पाटील (माढा), राजू खरे (मोहोळ), उत्तम जानकर (माळशिरस), और नारायण पाटील (करमाळा)। ये सभी ‘तुतारी’ चुनाव चिन्ह पर जीते हैं। अजित पवार इन विधायकों पर खास ध्यान दे रहे हैं।
शरद पवार के विधायकों को 100 करोड़ की विकास निधि का वादा
सूत्रों के अनुसार, शरद पवार के विधायकों की अजित पवार के साथ बैठकें हुई हैं। अजित पवार ने प्रत्येक विधायक को उनके क्षेत्र के लिए 100 करोड़ रुपये की विकास निधि देने का वादा किया है। विधायकों को यह भी कहा गया है कि अगर वे उनकी पार्टी में नहीं आते हैं, तो उन्हें यह निधि नहीं मिलेगी। इससे विधायकों की मुश्किल बढ़ गई है। अजित पवार ने विधानसभा चुनाव के प्रचार के दौरान ‘दादा का वादा, लाभ और बल’ का नारा दिया था। अब वे अपने चाचा के विधायकों को निधि का वादा दे रहे हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि इससे ‘दादा’ की ताकत कितनी बढ़ती है।
इससे पहले सांसदों को साथ लाने की हुई थी कोशिश
इससे पहले NCP ने शरद पवार की पार्टी के सांसदों को भी अपने साथ लाने की कोशिश की थी। तब शरद पवार ने उन्हें 1985 के विधानसभा चुनाव के बाद अपनी राजनीतिक चाल की याद दिलाई थी। NCP के वरिष्ठ नेताओं ने शरद पवार के सांसदों को बताया कि तब केंद्र और राज्य में कांग्रेस की सरकार थी। उनके पास भारी बहुमत था। इसलिए शरद पवार ने सत्ता के साथ रहकर राजनीति करने का फैसला किया और वे फिर से कांग्रेस में चले गए। उन्हें शरद पवार की आत्मकथा ‘लोक माझे सांगाती’ पढ़ने की सलाह भी दी गई, जिसमें इस घटना का उल्लेख है।