दुनियाभर में आतंकवाद के वित्तपोषण पर लगाम लगाने वाली संस्था फाइनेंशियल ऐक्शन टास्क फोर्स ने अपनी रिपोर्ट में चेताया है कि उग्रवादी वामपंथी समूह भारत की सरकार को उखाड़ फेंकना चाहते हैं। यह समूह नहीं चाहते कि भारत में मोदी सरकार रहे, हालांकि यह समूह देश के कुछ जगहों पर आंशिक या पूर्ण रूप से सफल भी हो गए हैं। लेकिन पीएम मोदी जैसे मजबूत नेतृत्व के कारण भारत में ऐसा दुस्साहस लगभग असंभव है।
इस रिपोर्ट में एफएटीएफ ने सीधे-सीधे कहा है कि भारत को विभिन्न प्रकार के आतंकवादी खतरों का सामना करना पड़ता है जिसमें उसने अलकायदा, आइएसआइएल और जम्मू-कश्मीर के आसपास के क्षेत्रों में सक्रिय गुटों का नाम भी लिया। लेकिन उसने इसके साथ ही लिखा कि वामपंथी उग्रवादी समूह भारत की सरकार को उखाड़ फेंकना चाहते हैं।
यह कोई आम आदमी नहीं कह रहा है, यह आतंक के वित्तपोषण को रोकने के लिए दशकों से काम कर रही दुनिया की एक प्रमुख संस्था कह रही है।
1989 में बनी 40 सदस्यों के साथ एफटीएफ एक अंतर सरकारी निकाय है, जो कि अवैध गतिविधियों को रोकने र वैश्विक समाज को बचाने के लिए अंतरराष्ट्रीय मानकों को बनाता है। दुनिया भर के देशों के ऊपर नजर रखने वाली यह संस्था अगर भारत के बारे में कुछ कहती है तो यह केवल भारत के बारे में नहीं है। यहां तक कि भारत पर किया गया एक गुप्त हमला भी वैश्विक समुदाय को बहुत नुकसान पहुंचाएगा, यह खाद्य असुरक्षा पैदा करेगा, लोकतंत्र को खतरे में डालेगा। इसलिए दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के बारे में यह रिपोर्ट क्या कह रही है इसको दुनिया को गंभीरता से लेना चाहिए। विशेष रूप से उनको जो इस संस्था के सदस्य है या फिर जिन देशों की सदस्यता रद्द कर दी गई है।
यह रिपोर्ट केवल भारत के बारे में ही नहीं है, इन उग्रवादी तत्वों का जाल केवल भारत में नहीं बल्कि पूरी दुनिया में फैला हुआ है। विभाजन कारी और विनाशकारी यह ताकतें अमेरिका और कनाडा जैसे विकसित देशों और कुछ यूरोपीय सुरक्षित ठिकानों में भी केंद्रित हैं। वास्तव में वे सिर्फ उदारवाद, फ्रीडम ऑफ स्पीट और अपने जन्म के देशों से तथाकथित उत्पीड़न की आड़ में संबंधित देशों में अपने प्रपोगेंड़ा के साथ फल-फूल रहे हैं। अपने संकीर्ण राजनीतिक लाभ के लिए ऐसे देश अपने नागरिकों को नुकसान पहुंचा रहे हैं, इन लोगों को अपने देश में बसा कर यह आने वाली पीढ़ियों के लिए ऐसी स्थितियां पैदा करते जा रहे हैं जो कि बहुत ही असंभव होंगी।
इस रिपोर्ट में मनी लॉन्ड्रर्स और आतंकी फाइनेंसरों से निपटने के लिए मोदी सरकार को पूरा समर्थन दिया है और उनकी पीठ भी थपथपाई है। हुर्ररियत वाले केस को हम उदाहरण के तौर पर ले सकते हैं
एनआईए ने 2017 में इस जानकारी के आधार पर एक मामला दर्ज किया था कि आंतकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा, हिजबुल मुजाहिदीन और दुख्तरान-ए- मिल्लत- ऑल पार्टी हुर्रियत कॉन्फ्रेंस और सीमा पार के सदस्य मिलकर जम्मू-कश्मीर में आतंक की घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं। एनआईए ने इस मामले में 16 लोगों को गिरफ्तार किया। इनमें से एक मिस्टर जेड से संबंधित मनी ट्रेल में एक विदेशी खाते में भारत के बाहर से फंडिंग का खुलासा हुआ,जिसे ईजीएमओएनटी चैनलों के साथ-साथ एफआईयू-आईएनडी से मिली जानकारी का उपयोग करके पहचाना गया। इसके बाद जांच में यह पता चला कि इस पैसे की मदद से इसने भारत में कई कंपनियों को शुरू किया।
खबर अपडेट की जा रही है।