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झारखंड हाईकोर्ट ने हेमंत सोरेन सरकार से राज्य में तुरंत इंटरनेट सेवाएं बहाल करने का आदेश दिया है। सूबे में 21 और 22 सितंबर को प्रतियोगी परीक्षा के दौरान कुछ घंटों के लिए इंटरनेट सेवाएं सस्पेंड कर दी गई थीं।
हाईकोर्ट ने झारखंड सरकार से सूबे में इंटरनेट सेवाओं को तुरंत बहाल करने का आदेश दिया है। हाईकोर्ट की जस्टिस आनंद सेन और जस्टिस अनुभा रावत चौधरी की बेंच ने रविवार को पूरे झारखंड में इंटरनेंट सेवा बंद किए जाने पर संज्ञान लेते हुए मामले की सुनवाई की। अदालत ने हेमंत सोरेन सरकार को निर्देश दिया कि तत्काल इंटरनेट सेवा को बहाल किया जाए। इसके साथ ही अदालत ने राज्य सरकार से इंटरनेट बंद करने के लिए तैयार की गई एसओपी को प्रस्तुत करने का निर्देश दिया।
अदालत ने राज्य सरकार को एसओपी को प्रस्तुत करने के लिए छह हफ्ते की समय सीमा दी है। इस मामले में स्टेट बार काउंसिल के अध्यक्ष राजेंद्र कृष्ण ने दलीलें रखीं। वहीं राज्य सरकार की ओर से अपर महाधिवक्ता सचिन कुमार और अधिवक्ता पीयूष चित्रेश ने बातें रखीं। अदालत ने रविवार को एक जनहित याचिका (पीआईएल) पर सुनवाई करते हुए उक्त आदेश जारी किए। अदालत ने पूरी इंटरनेट सेवा को निलंबित करने पर भी सवाल उठाया।
अदालत ने अपने आदेश में कहा कि बिना किसी ठोस आधार के केवल सार्वजनिक हित और निष्पक्ष परीक्षा के नाम पर राज्य में इंटरनेट सेवाएं बंद करने की दलील पर्याप्त नहीं लगती। ऐसी कार्रवाई संविधान के अनुच्छेद 19 के तहत निहित मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है। बता दें कि झारखंड सरकार ने घोषणा की थी कि झारखंड सामान्य स्नातक स्तरीय संयुक्त प्रतियोगी परीक्षा (JGGLCCE) के दौरान 21 सितंबर से दो दिन पूरे राज्य में इंटरनेट सेवाएं पांच घंटे से अधिक समय तक निलंबित रहेंगी।
हेमंत सोरेन सरकार की ओर से जारी बयान में बताया गया कि यह कदम स्वतंत्र, निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से परीक्षाएं आयोजित करने के लिए उठाया गया है। पिछले मामलों में देखा गया है कि कुछ बेइमान लोगों ने फेसबुक, व्हाट्सएप, एक्स, टेलीग्राम और यूट्यूब जैसे विभिन्न मोबाइल एप्लिकेशन का उपयोग करके अनुचित व्यवहार किया है। ऐसे में परीक्षा प्रक्रिया में किसी भी संभावित खामियों को दूर करने के लिए यह कदम जरूरी था।
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