आलीराजपुर : आलीराजपुर रियासत की ऐतिहासिक, अरबों रुपए मूल्य की संपत्तियों को हड़पने और बेच खाने की लिए निष्पादित वसीयत मामले में घोर आपत्तियों के बावजूद दूषित नामांतरण आदेश पारित कराने का मुद्दा उच्च न्यायालय में प्रस्तुत हैं।
इस मामले में बताया गया है कि पटवारी को दूषित नामांतरण की साज़िश और जबरन रिकॉर्ड दुरुस्ती का भांडा फोड़ने पर सस्पैंड किया गया था, माननीय उच्च न्यायालय इंदौर ने पटवारी को सस्पैंड करने के आदेश पर स्टे दिया हैं।
विस्तृत जानकारी अनुसार भू माफीयाओ
द्वारा राजस्व अधिकारियों के सहयोग से इस संपत्ति को बेच खाने मे सहयोग का आरोप लगाया गया है।
आलीराजपुर रियासत की सैकड़ों वर्ष पुरानी संपत्तियों को हड़पने तथा बेच खाने के लिए बनाई गई वसीयत के ताबड़तोड़ नामांतरण तथा राजस्व रिकार्ड दुरस्त कराने का आरोप भी न्यायालय के समक्ष कई दस्तावेजों के साथ लगाया गया हैं।
सूत्रों से प्राप्त जानकारी अनुसार राजस्व रिकार्ड में वसीयतकर्ता के रूप में दर्शाए गए श्रीमंत कमलेंद्र सिंह का नाम विलुप्त कर कथित वसीयतग्रहिता का नाम निजी तौर पर दिलचस्पी लेकर दर्ज कराने में शामिल कलेक्टर, एसडीएम और प्रभारी तहसीलदार एकमत थे, पटवारी कनु चौहान ने इस तरह का आरोप अपनी याचिका में लगाते हुए बताया है कि इस नामांतरण मामले से जुड़ी कार्यवाही से अपने आपको बचाने की कोशिश की तो उन्हें असहयोग करने पर निलंबित कर दिया है, इस पर माननीय उच्च न्यायालय से उन्होंने रोक लगाने की मांग की थीं।
इस याचिका में पटवारी चौहान ने बताया है कि आलीराजपुर कलेक्टर डॉ अभय अरविंद बेडेकर द्वारा उन्हें फोन पर जेल भेजने और निलंबन करने की धमकी के तत्काल बाद तहसीलदार के द्वारा इसी तरह का कारण बताओ सूचना पत्र दिया गया था, जिसका सत्य जवाब प्रस्तुत करने के बाद भी एसडीएम ने उन्हें सस्पैंड कर दिया था।
बता दें कि क़रीब 15 दिन पहले पटवारी से रिकॉर्ड दुरुस्त कराने के बाद उनका स्थानांतरण भी किया गया था।
फरियादी पटवारी द्वारा न्यायालय में पेश फोन वाइस रिकॉर्डिंग से ये स्पष्ट होता हैं कि पैसे और दबाव से तहसीलदार द्वारा दूषित नामांतरण आदेश पारित किया गया हैं।
बहरहाल फरियादी पटवारी कनु चौहान को सस्पैंड करने वाले आदेश के खिलाफ़ उच्च न्यायालय ने स्टे ऑर्डर दिया हैं,मोबाईल में इस दूषित नामांतरण के फर्जीवाड़े की सनसनीखेज साज़िश का खुलासा मौजूद हैं, जिसे आज न्यायालय में प्रस्तुत किया गया है।