गिरफ्तार आरोपी 29 साल से फरार रहने के दौरान ओडिशा और जम्मू में छिपा हुआ था और 25 साल से एक अन्य मामले में वांछित था।
पुलिस सूचना के अनुसार, अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश, सिटी सिविल और सत्र न्यायालय ने आईपीसी की धारा 307 के तहत 1995 में दर्ज हत्या के प्रयास के मामले में गैर-जमानती वारंट जारी किया।
यह गैर-जमानती वारंट आरोपी मोहम्मद रफीक उर्फ बाबा अब्दुल सत्तार शेख निवासी परेल के नाम पर जारी किया गया था।
वारंट को तामील के लिए भोईवाड़ा पुलिस स्टेशन भेजा गया था। चूंकि उक्त आरोपी इस मामले में फरार था और भोईवाड़ा पुलिस स्टेशन में भी वांछित था, उसके खिलाफ 1998 में आईपीसी की धारा 342, 394, 326, 34 के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी, इसलिए रफीक का पता लगाने के लिए एक विशेष टीम बनाई गई थी।
इस टीम ने सबसे पहले पुराने रिकॉर्ड प्राप्त किए और उनकी समीक्षा की, और उन दस्तावेजों में उल्लिखित उसके दोस्तों और रिश्तेदारों के बारे में जानकारी एकत्र की। जांच के दौरान पता चला कि आरोपी कुछ समय के लिए ओडिशा और जम्मू और कश्मीर में रहा था। आगे की पूछताछ में पता चला कि वह जेजे मार्ग पुलिस स्टेशन के अधिकार क्षेत्र में चोर बाजार से झूमर सहित दुर्लभ और प्राचीन वस्तुओं को खरीदने के लिए अक्सर मुंबई भी जाता था, जिन्हें आरोपी रफीक ने फिर दूसरे राज्यों में बेच दिया।
इसके बाद, टीम को विश्वसनीय जानकारी मिली कि आरोपी 24 अक्टूबर को एंटॉप हिल में अपने रिश्तेदारों से मिलने की योजना बना रहा था। इस जानकारी के आधार पर, पुलिस टीम ने उस स्थान पर निगरानी रखी, जहां उन्होंने विवरण से मेल खाने वाले एक व्यक्ति की पहचान की।