संविधान के अपमान और हिरासत में मौत से भड़की जनता
संविधान की प्रतिकृति की तोड़फोड़ से उपजे विवाद और पुलिस हिरासत में हुई संदिग्ध मौत ने राज्य में कानून व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। अब इस मामले में न्यायिक जांच और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग जोर पकड़ रही है।
परभणी में 10 दिसंबर को संविधान की प्रतिकृति की तोड़फोड़ का मामला सामने आया, जिसने पूरे शहर को आक्रोशित कर दिया। इस घटना के विरोध में आंबेडकरवादी संगठनों ने 11 दिसंबर को जिला बंद का आह्वान किया। इस दौरान बड़ी संख्या में लोग सड़कों पर उतरे और “तत्काल न्याय” की मांग करते हुए जोरदार प्रदर्शन किया। हालांकि, आंदोलन ने हिंसक रूप ले लिया, और कुछ जगहों पर पत्थरबाजी और आगजनी की घटनाएं हुईं। संविधान की प्रतिकृति को नुकसान पहुंचाने वाले आरोपी की पहचान सोपान दत्तराव पवार के रूप में हुई। बताया गया है कि उसने बिना किसी कारण के यह कृत्य किया। घटनास्थल पर मौजूद भीड़ ने उसे पकड़कर पीटा और पुलिस के हवाले कर दिया। पुलिस ने हिंसक प्रदर्शन के मामले में अब तक आठ प्राथमिकी दर्ज की हैं और 50 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया है। गिरफ्तार किए गए लोगों में भीमनगर और प्रियदर्शिनी नगर जैसी दलित बस्तियों के कई युवा और महिलाएं शामिल हैं। इस मामले में पुलिस ने कानून की पढ़ाई कर रहे सोमनाथ सूर्यवंशी को भी गिरफ्तार किया था। हालांकि, पुलिस हिरासत में उनकी मौत हो गई, जिससे बड़ा विवाद खड़ा हो गया। खास बात यह है कि सोमनाथ का जमानत आदेश पहले ही जारी हो चुका था। उनकी न्यायिक हिरासत में हुई मौत ने मामले को और संदेहास्पद बना दिया है।
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सोमनाथ सूर्यवंशी की न्यायिक हिरासत में हुई मौत ने मामले को और संदेहास्पद बना दिया है। सोमनाथ सूर्यवंशी कानून के छात्र थे। सोमनाथ की पुलिस हिरासत में रहते हुए मौत हुई है। उनके निधन से समुदाय ने एक होनहार और शिक्षित युवा को खो दिया है। परभणी में उनकी मौत को लेकर समाज में शोक और आक्रोश का माहौल है।
प्रकाश आंबेडकर का बयान
“हम न्याय के लिए लड़ेंगे
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वंचित बहुजन आघाड़ी के अध्यक्ष एडवोकेट प्रकाश आंबेडकर ने इस घटना पर कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने एक्स (ट्विटर) पर लिखा, “परभणी में वडार समाज के भीमसैनिक सोमनाथ सूर्यवंशी की पुलिस हिरासत में मौत अत्यंत दुखद और वेदनादायक है। जमानत मिलने के बाद भी उनकी न्यायिक हिरासत में मौत होना गंभीर चिंता का विषय है।” उन्होंने आगे मांग की कि पोस्टमॉर्टम सीटी स्कैन, एमआरआई, फॉरेंसिक और पैथोलॉजिकल विभाग की निगरानी में सरकारी अस्पताल में हो और इसकी पूरी वीडियोग्राफी की जाए। प्रकाश आंबेडकर ने यह भी कहा, “हम इस मामले में न्याय के लिए अपनी लड़ाई जारी रखेंगे।”