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उत्तर प्रदेश के बांदा जेल में बंद माफिया से नेता बने मुख्तार अंसारी का दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। गुरुवार की शाम तबीयत बिगड़ने के बाद अंसारी को जिला जेल से रानी दुर्गावती मेडिकल कॉलेज ले जाया गया था, जहां उसकी मौत हो गई। 63 साल के अंसारी मऊ सदर सीट से पांच बार विधायक रह चुका था। अंसारी 2005 से लगातार उत्तर प्रदेश और पंजाब में जेलों में बंद था, उसके खिलाफ 60 से अधिक आपराधिक मामले लंबित थे। उत्तर प्रदेश की विभिन्न अदालतें सितंबर 2022 से उसे आठ मामलों में सजा सुना चुकी थी।
अंसारी का नाम पिछले साल उत्तर प्रदेश पुलिस द्वारा जारी 66 गैंगस्टरों की सूची में था। वह राज्य का एक चर्चित और दुर्दांत माफिया था जिसके आतंक के कई किस्से चर्चा में रहे हैं। 1996 में तो उसने गाजीपुर के एडिशनल एसपी पर ही फायरिंग कर दी थी। आजतक से बातचीत में रिटायर्ड IPS अधिकारी उदय शंकर जायसवाल ने बताया कि 1996 में वह गाजीपुर में बतौर एडिशनल एसपी तैनात थे। उन्हें हेडक्वार्टर से सूचना मिली थी कि गाजीपुर डिग्री कॉलेज में होने वाले छात्रसंघ चुनाव में कुछ गड़बड़ी और हिंसक वारदात हो सकती है।
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इसके अलावा एक चुराई गई गाड़ी जिसका नंबर यूपी 61- 8989 था, के बारे में भी इनपुट मिला था। बकौल जायसवाल, 27 फरवरी 1996 को वह पूरी टीम के साथ गाजीपुर में कोतवाली थाना क्षेत्र में लंका बस स्टैंड पर मुस्तैदी से गाड़ियों की चेकिंग करवा रहे थे, तभी यूपी 61- 8989 नंबर की एक जिप्सी आती हुई दिखाई दी। उस गाड़ी पर बसपा अध्यक्ष लिखा हुआ था।
रिटायर्ड IPS अधिकारी के मुताबिक, “जब एक इन्स्पेक्टर ने उस गाड़ी को रोका तो गाड़ी से आवाज आई, ‘किसकी औकात है, जो मुख्तार की गाड़ी की चेकिंग करे’ और ऐसा कहते हुए गाड़ी से फायरिंग शुरू हो गई।” पुलिस ने भी जवाबी फायरिंग की। खुद जायसवाल ने उस गाड़ी के टायर को निशाना बनाकर फायरिंग की, जिसमें टायर पंक्चर हो गई। बावजूद इसके मुख्तार तीन पहियों पर गाड़ी को भगा ले गया। थोड़ी ही देर बाद मुख्तार गाजीपुर डीएम के आवास पर पहुंच गया, जहां उसे गिरफ्तार कर लिया गया।
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रिटायर्ड आईपीएस अधिकारी ने बताया कि जब मुख्तार अंसारी के गुर्गों संग मुठभेड़ हो रही थी, तभी उसकी जिप्सी में सवार एक शख्स को गोली लग गई, जिसे बाद में अस्पताल में भर्ती कराया गया। वहां पता चला कि वह जेलकर्मी साहिब सिंह है, जो जेल की ड्यूटी के बाद मुख्तार की ड्यूटी करता था। उसके पास लाइसेंसी बंदूक थी। बकौल जायसवाल, जांच में ये बात सामने आई कि मुख्तार अंसारी जेल के कई कर्मचारियों को गाय-भैंस खरीदकर देता था। ताकि उसके परिवार का खर्चा चलता रहे। इसके अलावा वह अपनी राजनीतिक रसूख का इस्तेमाल कर लोगों को हथियारों का लाइसेंस भी दिलवाता था। ऐसे कई लोग अपने हथियारों के लेकर अंसारी की टीम में शामिल हो गए थे।
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बकौल जायसवाल, एक बार ऐसा भी हुआ था, जब डॉन मुख्तार अंसारी ने कोर्टरूम में ही उस पर फायरिंग कर दी थी। उन्होंने बताया कि एक मामले में अंसारी की कोर्ट में पेशी हुई थी, जहां उनका उससे आमना-सामना हो गया। अंसारी अपनी गिरफ्तारी से जायसवाल से खफा था, इसलिए उन्हीं पर फायरिंग कर दी थी। उस मामले में मुख्तार अंसारी को 10 साल की सजा हुई थी।
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