नई दिल्ली : लोकसभा चुनाव परिणमों में बीजेपी को तगड़ा झटका लगा है. बीजेपी अपने अकेले दम पर बहुमत नहीं पा रही है. ऐसे में गठबंधन की राजनीति का दौर लौटना तय दिख रहा है. 2019 के विधानसभा और लोकसभा चुनाव में करारी हार झेलने वाले टीडीपी सुप्रीमो चंद्रबाबू नायडू किंग मेकर बनकर उभरे हैं. इन्हें भावी सरकार की सियासत की पिच पर मनमाफिक बल्लेबाजी करने की खुली छूट मिलने के आसार हैं. ऐसा ही कुछ नीतीश कुमार के लिए भी कहा जा सकता हैं, बहरहाल हम बात कर रहे हैं आंध्र प्रदेश की सियासत के जिद्दी जादूगर चंद्र बाबू नायडू की.
विदित हो कि आंध्र प्रदेश में बीजेपी के साथ गठबंधन में होने के बावजूद मुस्लिम आरक्षण जैसे मुद्दे पर नायडू ने अपना अलग रुख रखा. उन्होंने मुस्लिम आरक्षण की खुलकर पैरवी की थी. उन्होंने खुलकर कहा, ‘हम शुरू से ही मुसलमानों के लिए चार प्रतिशत आरक्षण का समर्थन कर रहे हैं और यह जारी रहेगा.’ हालांकि अपने घोषणापत्र में टीडीपी ने इस मुद्दे से दूरी बना ली. एनडीए में लौटने के बाद भले ही नायडू प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की हर मौके पर सराहना करते दिखे हों, लेकिन पूर्व में उनके साथ रिश्ते सहज नहीं रहे हैं.
नायडू ने आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य के दर्जे को लेकर मार्च, 2018 में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) से नाता तोड़ लिया था.
हालाकि आंध्र प्रदेश में अलग-अलग समय पर 13 वर्ष तक मुख्यमंत्री रहने के दौरान कई कीर्तिमान रच चुके नायडू राज्य ही नहीं केंद्र की राजनीति के भी कुशल रणनीतिकार रहे हैं.1996 और 1998 के लोकसभा चुनाव के दौरान उन्होंने संयुक्त मोर्चा का नेतृत्व किया. 1998 में अटल बिहारी वाजपेयी सरकार को समर्थन देने से पहले वह संयुक्त मोर्चा के संयोजक थे. नायडू एनडीए के संयोजक भी रहे हैं.
इस नाते वे एनडीए सरकार के स्वाभाविक सहयोगी माने जाते हैं.
16 सीट प्राप्त करने वाली टीडीपी प्रमुख नायडू केंद्र सरकार से बेहतरीन से बेहतरीन अधिकार लेने की स्थिती में हैं.
ज्ञात हो कि आंध्र प्रदेश में तेलुगू देशम पार्टी (टीडीपी) ने हैरतअंगेज रूप से दोहरा प्रदर्शन करके सबको चौंका दिया है. टीडीपी ने जहां राज्य के विधानसभा चुनाव में प्रचंड जीत के साथ वापसी की है, वहीं लोकसभा में भी शानदार प्रदर्शन किया है. ताजा आंकड़ों के मुताबिक, टीडीपी 175 सदस्यीय विधानसभा में से 127 सीटों पर आगे है. आंध्र प्रदेश में लोकसभा चुनाव परिणाम की बात करें तो टीडीपी 16 सीटों पर लीड कर रही है. सूत्रों के मुताबिक, चंद्रबाबू नायडू 9 जून को आंध्रप्रदेश के सीएम पद की शपथ ले सकते हैं. अपने से कम उम्र के जगन मोहन रेड्डी से निराशाजनक तरीके से पिछला विधानसभा चुनाव हारने वाले नायडू एक बार फिर से किंग मेकर बनकर उभरे हैं.
किसी को भी टीडीपी के इस करिश्माई प्रदर्शन की उम्मीद नहीं थी, क्योंकि पिछले साल सितंबर में चंद्रबाबू नायडू को स्किल डेवलेपमेंट घोटाले में राज्य की सीआईडी ने गिरफ्तार किया था.
वे जेल गए लेकिन हिम्मत नहीं हारी. बता दें कि 2019 के विधानसभा व लोकसभा चुनाव में उनकी पार्टी को करारी हार मिली थी. इसके बाद उनके सियासी सफर का ग्राफ लगातार नीचे जा रहा था. ठीक छह साल बाद मार्च, 2024 में नायडू ने एनडीए में वापसी की. आंध्र प्रदेश में बीजेपी, जनसेना के साथ मिलकर विधानसभा चुनाव लड़ा और पार्टी को फिर से जीत दिलाई. नायडू ने पार्टी को फिर से संभाला और जोरदार वापसी की है.
अपनी ज़िद पूरी करते हैं नायडू
अपनी ज़िद पुरी करने के लिए मशहूर नायडू, मुख्यमंत्री के रूप में आंध्र प्रदेश विधानसभा सदन में वापस आने की 2021 में ली गई अपनी शपथ पूरी करते दिख रहे हैं. ज्ञात हो कि वर्ष 2021 में परिवार के सदस्य के खिलाफ टिप्पणी के विरोध में नायडू ने विधानसभा से बहिर्गमन किया था और ज़िद कर ली थी कि वह मुख्यमंत्री बनने के बाद ही सदन में लौटेंगे.
बहरहाल सहयोगी एनडीए के साथ ही इंडिया गठबंधन की निगाहें भी आंध्र प्रदेश के जादूगर नायडू के कदमों पर बनी हुईं हैं.