नई दिल्ली : चुनाव नतीजों के बाद इंतजार नई सरकार के गठन का है। पीएम मोदी ने पीएम पद से राष्ट्रपती को इस्तीफा सौप दिया है। इसी के साथ नई सरकार के गठन की तैयारी तेज हों गई।
दिल्ली में एनडीए की बैठक में नीतीश, चंद्रबाबू नायडू की अहम उपस्थिति रहीं।
एनडीए की नई सरकार के गठन को लेकर तय हो रहा हैं पूरा फार्मूला
ख़बर है कि एनडीए में शामिल पार्टियां अपनी-अपनी डिमांड कर रही हैं। इस माहौल में नई सरकार का स्वरूप क्या होगा ये देखना दिलचस्प होगा।
नीतीश कुमार, चंद्रबाबू नायडू, शिवसेना नेता और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) नेता चिराग पासवान समेत एनडीए में शामिल तमाम नेता दिल्ली बैठक में शामिल हैं। सूत्रों के अनुसार एनडीए की सहयोगी दलों की डिमांड ने बीजेपी आलाकमान की कुछ टेंशन बढ़ा दी है।
जानकारी के मुताबिक, 8 जून को नरेंद्र मोदी फिर प्रधानमंत्री पद की शपथ ले सकते हैं। हालांकि, नई सरकार के गठन से पहले एनडीए में शामिल सियासी पार्टियों ने मंत्रालय को लेकर दावेदारी तेज कर दी है। जानकारी के मुताबिक, नीतीश कुमार की पार्टी जेडीयू ने 4 मंत्री पद मांगे हैं। वहीं चिराग पासवान ने दो, जीतनराम मांझी ने एक और टीडीपी ने भी चार से अधिक मंत्रालय और स्पीकर पद की मांग रखने की ख़बर है।
विदित हो कि चुनाव नतीजों में भले ही एनडीए को स्पष्ट बहुमत मिल गया हो, लेकिन बीजेपी अपने दम पर बहुमत के जादुई आंकड़े 272 से दूर है। टीडीपी ने 16, जेडीयू ने 12, शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना ने सात और चिराग की पार्टी ने पांच लोकसभा सीटें जीती हैं। ऐसे में एनडीए के साथ इंडिया गठबंधन की ओर से भी सरकार बनाने की कवायद होती दिख रही है। इसे लेकर जहां बीजेपी दावे कर रही है, वहीं विपक्ष भी लगातार सक्रियता बनाए हुए है। ख़ासकर एनडीए को दो घटक दल जेडीयू और टीडीपी पर अब इंडिया गठबंधन की भी निगाहें हैं। ये दोनों दल किंगमेकर की भूमिका निभा सकते हैं।
दरअसल, बीजेपी की कार्यशैली देख चुका विपक्ष अब किसी भी मौके को छोड़ना नहीं चाहता।
ऐसे में नई सरकार के गठन में एनडीए के अन्य सभी दलों का रोल बेहद अहम होगा। ये बात एनडीए में शामिल सभी सहयोगी दलों को पता है। यही वजह है कि अब उन्होंने नई सरकार के गठन में बड़ी डिमांड शुरू कर दी है।
जबकि सियासी गलियारों में ये चर्चा भी है कि विपक्ष नीतीश कुमार को उप प्रधानमंत्री का पद का प्रस्ताव दे सकता है। टीडीपी का इतिहास रहा है कि वह जिस गठबंधन के साथ रही है, उसके साथ कार्यकाल पूरा नहीं करती। विपक्षी खेमा उसके सामने आंध्र प्रदेश को विशेष दर्जा देने का प्रस्ताव भी रख सकता है।