
मुंबई: कट्टर हिंदूवादी, भाजपा नेता और मुंबई के पूर्व उप महापौर बाबूभाई भवानजी ने कहा है कि कबूतरखानों में दाना डालने पर कोर्ट द्वारा रोक लगाए जाने की स्थिति में कबूतरों को बचाना जरूरी हो गया है। और हमारा संवैधानिक मूलभूत अधिकार भी है, लेकिन पर्यायी व्यवस्था होने तक सभी संवेदनशील लोगों को अपनी अपनी बिल्डिंग की छत पर, गैलरी और टेरेस में कबूतरों के लिए दाना और पानी की व्यवस्था करना चाहिए।
भवानजी ने आज एक बयान में कहा कि मुंबई की निवासी बस्तियों में कबूतर खाना को लेकर हाई कोर्ट के निर्देश के बाद मुंबई में कबूतर खाना खानों को बीएमसी द्वारा प्रतिबंधित कर दिए जाने के बाद लाखों कबूतरों के अस्तित्व पर खतरा मंडराने लगा है। जिसे लेकर जीवदया प्रेमियों में तीव्र आक्रोश व असंतोष व्याप्त है। कबूतरों को बचाने के लिए सभी जाति-धर्म के सनातनी हिंदू लामबंद हो गए हैं,
भवानजी ने कहा कि चिड़िया को दाना, कुत्ते को रोटी और जानवरों को चारा, यह भारत की जियो और जीने दो वाली संस्कृति है। पृथ्वी पर रहने वाले हरेक प्राणीमात्र का यह मौलिक अधिकार है। एक-दूसरे की मदद करना यह संस्कार है, इंसानियत का धर्म है हरेक मनुष्य का कर्त्तव्य भी है। उन्होंने कहा कि बरसो से कबूतर खाना के पास लोग रहते है, व्यवसाय करते हैं, उन्हें कभी कबूतरों के कारण स्वास्थ् खराब नही हुआ , जबकि सिगरेट, गुटकाखाने से और शराब पीने से स्वास्थ खराब हो रहा है, लेकिन उनका खुले आम सेवन हो रहा है घर बरबाद हो रहा है उसपे सब क्यों चुप है,
भवानजी ने जीवदया प्रेमियों से अपील की है कि आप अपने बिल्डिंग की टेरेस पर कबूतरों को दाना पानी की व्यवस्था करें, कबूतरों के लिए ज्वार के दाने की व्यवस्था के लिए मुझे संपर्क करें ,मेरा मोबाईल नबर 9819851828 है ,आप कबूतरों की जान बचाए, यह एकमात्र उद्देश्य है ।
उन्होंने कहा कि हर समस्या का कोई न कोई हल होता है। मुंबई के चारों और समुद्र किनारा है। “वहां वहां बस्ती के दूर जैसे कि कोलाबा, नरीमन पॉइंट, गिरगांव, मलबार हिल, हाजी अली, वर्ली, दादर, महिम, बांद्रा, जुहू, अंधेरी से दहिसर, भाऊ चा धक्का,रे रोड, वडाला से वाशी तक समुद्र किनारे पे कबूतरों को दाना-पानी उपलब्ध कराने के लिए चबूतरे पूरी प्लानिंग से बनाए जाने चाहिए, ( (जिस तरह समुद्रमे हजीअली दरगाह है )) जिससे हमारी परंपरा, संस्कार, धार्मिक भावना जीवंत बनी रहे।
उन्होंने कहा कि जबतक नए चबूतरे तैयार नहीं हो जाए तबतक बीच का रास्ता निकाला जाए और इन चबूतरों में कबूतरों को दाना-पानी देने का समय दोपहर 2 से 4. 30 का रखा जाए,और साथ साथ रेसकोर्स मैदान ,गोदरेज (विक्रोली) के सामने की खुली जगह,नेशनलपार्क / पवई के जंगलों मे कबूतरों को दाना देने की परमिशन देने से पक्षी प्रेमियों को सुविधा होगी, और किसी को किसी प्रकार की असुविधा भी नहीं होगी।
भवानजी ने यह भी सुझाव दिया है कि सभी धर्मालयों, मंदिरों,में और उनकी मकानों की छतों पर भी भूखे- प्यासे कबूतरों को दाना-पानी उपलब्ध करवाकर भी उनकी जान बचाई जानी चाहिए। आगे भवानजी ने कहा कि दादर का कबूतर खाना हेरिटेज है, ब्रिटिश काल का है। कोर्ट के आदेश का हम सम्मान करते हैं, लेकिन ऐसे निर्देश से कबूतरों की जान लेना पूरी तरह से अनुचित है, इस पर महाराष्ट्र सरकार और बीएमसी प्रशासन को गंभीरतापूर्वक ध्यान देने की जरूरत है। भवानजी ने मनपा को जो सुझाव दिया था उसपे मनपा ने कार्रवाई शुरू की हे, लेकिन भवानजी का कहना है कि तबतक जो भी कबूतर खाना है वह दोपहर को 2 बजेसे 4 . 3बजे तक खुला करे,
