करोड़ों आधार कार्ड धारकों की डेटा हुआ लीक UIDAI के सुरक्षा दावों की खुली पोल, प्रशासन बेखबर

संवाददाता फरियाद अली
सिर्फ मोबाइल नंबर से निकल रही है आधार, पते और पिता के नाम समेत पूरी कुंडली
संवाददाता ने खुद के नंबर पर किया परीक्षण, वेबसाइट पर लीक डेटा निकला 100% सच
बैंक खाते और पैन कार्ड की सुरक्षा पर मंडराया बड़ा खतरा
भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) एक तरफ जहाँ भारतीय नागरिकों के आधार डेटा की सुरक्षा को लेकर अभेद्य होने का दावा करता है, वहीं दूसरी तरफ जमीनी हकीकत इन दावों की पोल खोलती नजर आ रही है। एक बड़ी सुरक्षा चूक (Data Breach) का मामला सामने आया है, जिसने साइबर सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। दावा किया जा रहा है कि करोड़ों आधार धारकों का डेटा लीक हो चुका है, लेकिन हैरत की बात यह है कि सरकार और प्रशासन को अब तक इसकी कोई भनक नहीं है।
फेसबुक वीडियो से हुआ खुलासे का दावा
मामला तब प्रकाश में आया जब सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म फेसबुक पर एक कंप्यूटर सेंटर के पेज पर अपलोड किए गए वीडियो में एक संदिग्ध वेबसाइट का जिक्र किया गया। वीडियो में दिखाया गया कि कैसे मात्र एक मोबाइल नंबर दर्ज करने से किसी भी व्यक्ति की बेहद निजी जानकारी सार्वजनिक हो रही है।
लाइव परीक्षण में सच साबित हुआ दावा
इस खबर की सत्यता परखने के लिए संवाददाता फरियाद अली ने गहन पड़ताल की। नैतिक जिम्मेदारी और गोपनीयता के नियमों का पालन करते हुए, संवाददाता ने किसी अन्य व्यक्ति का डेटा चेक करने के बजाय वेबसाइट पर अपना स्वयं का मोबाइल नंबर दर्ज किया। परिणाम चौंकाने वाले थे। वेबसाइट ने मोबाइल नंबर डालते ही सिम कार्ड धारक का नाम, पिता का नाम, पूरा पता, कनेक्शन लेते समय दिया गया वैकल्पिक (Alternate) नंबर और यहाँ तक कि आधार नंबर भी स्क्रीन पर प्रदर्शित कर दिया। पड़ताल में यह सारा डेटा पूरी तरह सटीक पाया गया।
क्यों है यह खतरे की घंटी?
यह डेटा लीक सिर्फ गोपनीयता का हनन नहीं, बल्कि आर्थिक सुरक्षा पर बड़ा प्रहार है।
विशेषज्ञों के अनुसार, आज के दौर में आधार नंबर सिर्फ एक पहचान पत्र नहीं है। यह सिम कार्ड, पैन कार्ड, बैंक खातों और तमाम सरकारी योजनाओं से लिंक है।
साइबर फ्रॉड का खतरा: लीक हुई जानकारी (आधार, मोबाइल, पता) का उपयोग कर हैकर्स सिम स्वैप (Sim Swap) कर सकते हैं।
बैंक खाते हो सकते हैं खाली: इस डेटा के जरिये साइबर ठग आसानी से बैंकिंग फ्रॉड को अंजाम दे सकते हैं और आम जनता की गाढ़ी कमाई पल भर में गायब हो सकती है।
इतने बड़े पैमाने पर डेटा लीक होने की संभावना के बावजूद अब तक किसी भी जिम्मेदार एजेंसी या प्रशासन की तरफ से कोई कार्रवाई नहीं की गई है। सवाल उठता है कि नागरिकों के डेटा की सुरक्षा (Data Privacy) की जिम्मेदारी आखिर किसकी है? UIDAI और सरकार के सुरक्षा तंत्र इस सेंधमारी को रोकने में विफल क्यों साबित हो रहे हैं?
यह मामला राष्ट्रीय सुरक्षा और नागरिकों की निजता से जुड़ा है। सरकार और साइबर सेल को इस मामले का तुरंत संज्ञान लेना चाहिए। जिस भी वेबसाइट या गिरोह ने यह डेटा लीक किया है, उसके खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई की जानी चाहिए, ताकि भविष्य में इस तरह की डिजिटल डकैती को रोका जा सके।
