बॉम्बे हाईकोर्ट ने मंगलवार को कोल्हापुर की अदालत द्वारा एक व्यक्ति को 2017 में अपनी मां की हत्या करने और कथित तौर पर शरीर के कुछ अंग खाने के लिए दी गई मौत की सजा को बरकरार रखा। उच्च न्यायालय ने कहा कि दोषी के सुधार की कोई संभावना नहीं है। यदि उसे जेल में रखा तो वह वहां पर भी इस तरह की क्रूरता कर सकता है।
बॉम्बे हाईकोर्ट ने क बॉम्बे हाईकोर्ट ने मंगलवार को कोल्हापुर अदालत के 2017 के उस फैसले को बरकरार रखा है, जिसमें एक व्यक्ति को अपनी मां की हत्या करने और और फिर शव के अंगों को खाने के लिए मौत की सजा सुनाई थी।
कढ़ाई में पकाकर खाए आंग
जस्टिस रेवती मोहिते डेरे और पृथ्वीराज चव्हाण की खंडपीठ ने कहा कि वह दोषी सुनील कुचकोरवी की मौत की सजा को बरकरार रखती है और कहा कि उसके सुधरने की कोई संभावना नहीं है। यह नरभक्षण का मामला है और क्रूरता की श्रेणी में आता है। हाई कोर्ट ने कहा कि दोषी ने न केवल अपनी मां की हत्या की, बल्कि उसने उसके शरीर के अंग – मस्तिष्क, हृदय, गुर्दे और आंत भी निकाल लिए और उन्हें कढ़ाई में पका रहा था।