भोपाल : देश में जब भी कोई घोटाला होता हैं तो देशवासी उसकी न्यायायिक जांच या सीबीआई से जांच की मांग करते हैं, क्योंकि उन्हें विश्वास होता है कि सीबीआई के अधिकारी बेईमान नहीं होते, परंतु मध्य प्रदेश के नर्सिंग घोटाले की जांच में हाईकोर्ट के आदेश पर सीबीआई द्वारा की गई जांच में बड़ा गड़बड़झाला सामने आया है। प्राप्त जानकारी अनुसार सीबीआई के कुछ अधिकारियों ने घोटालेबाजों से हाथ मिला लिया और उन्हें क्लीन चिट दे दी। हालांकि सीबीआई की दूसरी टीम ने उन्हें पकड़ लिया।
सीबीआई ने इस मामले में 10 नए आरोपी घोषित किए हैं। इनमें सीबीआई के ही डीएसपी और एक इंस्पेक्टर शामिल हैं। अब इस मामले में 4 सीबीआई अफसरों को मिलाकर आरोपियों की संख्या कुल 23 हो गई है। नए आरोपी डीएसपी आशीष प्रसाद और इंस्पेक्टर रिषिकांत असाठे भोपाल के शिवाजी नगर में रहते हैं। इससे पहले सीबीआई इंस्पेक्टर राहुल राज और सुशील कुमार मजोका गिरफ्तार किए जा चुके हैं।
विस्तृत जानकारी अनुसार उच्च न्यायालय ने 364 कालेजों की जांच सीबीआई को सौंपी थी, जिसमें अब तक 318 कालेजों की जांच सीबीआई ने पूरी कर हाईकोर्ट में रिपोर्ट प्रस्तुत कर दी है। इनमें 169 कालेजों को सीबीआई ने क्लीन चिट दे दी है। इस रिपोर्ट के आधार पर हाईकोर्ट ने इन कालेजों की मान्यता बहाल करने के लिए चिकित्सा शिक्षा संचालनालय को कहा था।
सीबीआई की तरफ से सोमवार को जानकारी दी गई है कि मप्र हाईकोर्ट के निर्देश पर प्रदेश के नर्सिंग कॉलेजों की जांच के लिए सीबीआई और एसीबी भोपाल की सात कोर टीम बनाई गई थी। वहीं, तीन से चार अन्य टीमें जांच में मदद करने के लिए बनाई गई थीं। टीम में सीबीआई के अधिकारी, मध्य प्रदेश नर्सिंग कॉलेज के नामित सदस्य और पटवारी शामिल थे। इस टीम का काम हाईकोर्ट के निर्देश पर यह जांचना था कि क्या नर्सिंग कॉलेज बुनियादी सुविधाओं और संकाय के संबंध में नर्सिंग कॉलेजों के लिए निर्धारित मानदंडों और मानकों को पूरा करते हैं?
इस घोटाले की इनसाइड स्टोरी जाने
सीबीआई रिपोर्ट के आधार पर हाईकोर्ट कॉलेज संचालक पर लगाए गए प्रतिबंध हटाने की कार्रवाई कर रहा था। जांच में पता चला है कि नर्सिंग कॉलेजों के निरीक्षण के एवज में वसूली का गिरोह सीबीआई इंस्पेक्टर राहुल राज चलाता था।
राहुल की टीम के पास 60 कॉलेजों की जांच थी। उसने अलग-अलग जिलों में बिचौलियों की टीम तैयार कर रखी थी। वह इनसे लगातार संपर्क में रहने के साथ बैठक भी करता था। जिस कॉलेज से सौदा तय होता था, उनके यहां निरीक्षण का समय और दिन पहले ही बता दिया जाता था। उगाही से मिली राशि राहुल राज राजस्थान के झालावाड़ निवासी धर्मपाल तक पहुंचाता था। इसके लिए भी इसी गिरोह के नेटवर्क का इस्तेमाल किया गया।
बताया जा रहा है कि अफसरों की रिश्वतखोरी की शिकायत के बाद सीबीआई की 7 कोर टीम और 3 से 4 सहायक टीमों ने भोपाल, इंदौर, रतलाम समेत राजस्थान के जयपुर में 31 ठिकानों पर छापेमारी की थी। कुल 2.33 करोड़ नकद, चार सोने के बिस्किट और 36 डिजिटल डिवाइस जब्त की गईं। आरोपियों से 150 से अधिक अनाधिकृत दस्तावेज भी मिले।
सीबीआई की छापेमारी के दौरान सबसे पहले इंस्पेक्टर राहुल राज को 10 लाख रुपए लेते हुए गिरफ्तार किया गया था। रिश्वत देने वाले 4 अन्य लोगों को भी हिरासत में लिया गया था। इनमें मलय कॉलेज ऑफ नर्सिंग, भोपाल के मालिक अनिल भास्करन की पत्नी एवं कॉलेज प्रिंसिपल सुमा भास्करन भी शामिल थीं। सीबीआई ने दलाल के रूप में काम कर रहे ओम गोस्वामी, रवि भदौरिया और जुगल किशोर सहित तीन महिलाओं को भी गिरफ्तार किया है।
CBI की एक टीम ने भोपाल में इंस्पेक्टर राहुल राज के प्रोफेसर कॉलोनी स्थित घर पर छापा मारा। तलाशी में 7 लाख 88 हजार रुपए नकद और 100-100 ग्राम के सोने के बिस्किट मिले। राहुल को अगस्त 2023 में उत्कृष्ट जांच के लिए केंद्रीय गृहमंत्री पदक से सम्मानित किया गया था। वे CBI के उन 15 अफसरों में शामिल थे, जिन्हें यह सम्मान मिला था। वहीं, इंस्पेक्टर सुशील मजोका को मध्यप्रदेश पुलिस से डेप्युटेशन पर CBI, भोपाल भेजा गया था।
जब इन सभी को कोर्ट में पेश किया गया, तब एमपी के अफसरों को इस छापामार कार्रवाई की भनक लगी। अफसर कुछ समझते उससे पहले ऐसी ही कार्रवाई रतलाम में भी की गई।
अहम सवाल ये है कि दिल्ली सीबीआई को एमपी में आकर इतने गुपचुप काम करने की जरूरत क्यों हुई?
इसकी पड़ताल की तो पता चला कि अप्रैल 2023 में हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच ने नर्सिंग कॉलेजों की जांच के लिए सीबीआई को आदेश दिए थे।
सीबीआई ने 17 जनवरी 2024 को बंद लिफाफे में हाईकोर्ट में रिपोर्ट पेश की। इस रिपोर्ट के सामने आने पर इस पर सवाल उठे। ये भी पता चला कि रिपोर्ट के बाद ही इस मामले की जांच कर रहे इंस्पेक्टर के फोन सीबीआई ने सर्विलॉन्स पर डाल दिए थे। चार महीने तक कॉल रिकॉर्डिंग की, जब अधिकारियों और नर्सिंग कॉलेज संचालकों के साठगांठ के पुख्ता सबूत मिले तो छापा मार कार्रवाई कर रिश्वत के इस खेल को उजागर किया।
17 जनवरी को सीबीआई ने बंद लिफाफे में हाईकोर्ट के सामने जो रिपोर्ट पेश की उसमें कॉलेजों की 3 कैटेगरी थी। सूटेबल, डिफिशिएंट और अनसूटेबल। सीबीआई ने प्रदेश के कुल 308 में 169 कॉलेज को सूटेबल बताया था। यानी इन्हें क्लीन चिट दी थी।
इनमें से 73 कॉलेजों को डिफिशिएंट बताया गया था यानी इनमें सुधार की जरूरत थी। 66 कॉलेजों को अनसूटेबल बताया था यानी इन्होंने नॉर्म्स का पालन ही नहीं किया था। इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद इस पर सवाल उठ गए।
नर्सिंग घोटाले से जुड़े व्हिसिल ब्लोअर रवि परमार कहते हैं कि जब ये रिपोर्ट बाहर आई तो पता चला कि सीबीआई ने इसमें कई ऐसे कॉलेजों को भी सूटेबल बता दिया था, जिसमें खामियां थी। परमार का तर्क है कि उन्होंने 15 अप्रैल को भोपाल सीबीआई को इसकी शिकायत भी की थी।
इस शिकायत में बिलखिरिया के मलय नर्सिंग कॉलेज, एम्स के पास एपीएस एकेडमी, जहांगीराबाद में महको नर्सिंग कॉलेज और इंदौर के आरडी नर्सिंग कॉलेज को सूटेबल बताए जाने पर आपत्ति दर्ज की थी। इसके पक्ष में उन्होंने तर्क भी दिए थे।
शिकायत पर ध्यान देने के बजाय भोपाल सीबीआई अपने रोजमर्रा के दूसरे काम में जुटी रही। भोपाल की सीबीआई ब्रांच के प्रमुख डीआईजी प्रमोद कुमार मांझी का फोकस आर्थिक गड़बड़ियों से जुड़े दूसरे मामलों पर था। उन्हें अपने ही दफ्तर के जांबाज इंस्पेक्टर्स पर उस समय कोई संदेह नहीं था।
हाईकोर्ट के आदेश के बाद सीबीआई ने नर्सिंग कॉलेजों की जांच के लिए 7 कोर टीम और 5 सहायक टीम का गठन किया था। इनमें सीबीआई अधिकारियों के साथ पटवारी और मप्र के नर्सिंग कॉलेजों द्वारा नामित किए अधिकारी शामिल थे।
जब सीबीआई ने हाईकोर्ट में रिपोर्ट पेश की और इस पर सवाल उठे तो सीबीआई की इंटरनल विजिलेंस टीम ने इस पर नजर रखना शुरू किया। सीबीआई के सूत्र बताते हैं कि जल्द ही विजिलेंस टीम को पता चल गया कि इंस्पेक्टर राहुल राज रिश्वत लेकर नर्सिंग कॉलेज की रिपोर्ट में फेर बदल कर रहे हैं।
मामले के पुख्ता सबूत जुटाने के लिए विजिलेंस टीम ने राहुल राज और कॉलेज प्रिंसिपल और चेयरमैन के फोन कॉल्स को सर्विलॉन्स पर रखा। इनकी बातचीत से जब ये साफ हो गया कि राहुल राज रिश्वत लेकर और भी कॉलेजों को सूटेबल बताने की तैयारी कर रहे हैं, तो शुक्रवार को दिल्ली से 2 टीम भोपाल पहुंच गई। इसमें दस से ज्यादा अधिकारी शामिल थे।
पहली टीम ने भोपाल में मोर्चा संभाला और दूसरी टीम रतलाम रवाना हुई। भोपाल की टीम ने इंस्पेक्टर राहुल राज और मलय नर्सिंग कॉलेज के चेयरमैन और उनकी प्रिंसिपल पत्नी के साथ मीडिएटर सचिन जैन को गिरफ्तार किया।
सीबीआई के एंटी करप्शन विंग से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि यही सीबीआई है। इसे आप ऐसे मत देखिए कि सीबीआई का कोई इंस्पेक्टर करप्ट है। इसे ऐसे देखने की जरूरत है कि सीबीआई सिर्फ बाहर ही नहीं अपने सिस्टम के भीतर भी उतनी ही पैनी नजर रखती है।
सीबीआई ने दिल्ली में रहते हुए अपने ही डिपार्टमेंट के इंस्पेक्टर्स को ट्रेप कर लिया। फिर भोपाल आकर उन्हें रंगे हाथों दबोच भी लिया।
आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद इस मामले में कई खुलासे हुए हैं। आरोपी रिश्वत के लेन-देन में छाछ गिलास, अचार की बरनी जैसे विशेष कोडवर्ड का इस्तेमाल कर रहे थे। पैसा उठाने वाले को कैरियर, लाखों रुपए को अचार की बरनी और रुपयों की गिनती को किलो आम कहते थे।
सीबीआई सूत्रों का कहना है कि इस मामले में अब पूरी जांच टीम ही संदेह के दायरे में आ गई है। इस टीम ने रीवा के सरकारी कॉलेज को अनफिट करार दिया था। वहीं, कई ऐसे कॉलेज हैं, जो फिट नहीं थे और उन्हें फिट बता दिया था। अब दिल्ली के सीबीआई अधिकारी, भोपाल के अफसरों को पूरे मामले से अलग रखकर हर संदेही की जानकारी जुटा रहे हैं। इसके लिए गिरफ्तार किए गए आरोपियों को लेकर एक टीम दिल्ली गई है।
जांच में क्लीन चिट पाए कालेजों पर अब आगे क्या कारवाई होगी?
इंस्पेक्टर राहुल और सुशील ने जिन कॉलेजों को सूटेबल बताया है, वो संदेह के दायरे में है। यहां एडमिशन भले ही शुरू हो गए हैं, लेकिन रिश्वत प्रकरण के बाद अब ये पहले की तरह सामान्य नहीं रह गया है।
रिमांड के दौरान सीबीआई इन दोनों अधिकारियों और कॉलेज के चेयरमैन और प्रिंसिपल से बारी-बारी से पूछताछ करेगी, ताकि ये समझ आ सके कि किन-किन कॉलेजों ने रिश्वत देकर खुद को सूटेबल बताया है। इसके बाद हाईकोर्ट भी इस पर संज्ञान लेगा कि जांच एजेंसी ने उन्हें गलत रिपोर्ट दी है।