लंदन : सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) ने न्यायपालिका में विधायिका के किसी भी दखल की आशंका को खारिज किया। उन्होंने कहा कि न्यायाधीश के रूप में अपने 24 साल के कार्यकाल में उन्हें कभी किसी सरकार से किसी राजनीतिक दबाव का सामना नहीं करना पड़ा। यह बात उन्होंने ऑक्सफोर्ड यूनियन की ओर से जून में आयोजित सत्र के दौरान एक सवाल के जवाब में कही।
प्राप्त जानकारी अनुसार सीजेआई ने कहा, “भारत में न्यायाधीशों को विवादों पर इस तरह से फैसला करने के लिए प्रशिक्षित किया जाता है कि अदालतें मौजूदा भावनाओं के विपरीत संवैधानिक परंपराओं के आधार फैसले ले सकें।” राजनीतिक दबाव के सवाल के जवाब में उन्होंने कहा, “अगर आप मुझसे सरकार के दबाव के अर्थ में पूछ रहे हैं, तो मैं आपको बताता हूं कि बीते चौबीस वर्षों से जब से मैं न्यायाधीश रहा हूं, मैंने कभी भी राजनीतिक दबाव का सामना नहीं किया है। भारत में हम जिन लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं का पालन करते हैं, उनमें यह भी शामिल है कि हम ऐसा जीवन जीते हैं जो सरकार की राजनीतिक शाखा से अलग-थलग है।”
न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने आगे कहा, अगर आपका मतलब व्यापक अर्थों में राजनीतिक दबाव से है कि एक न्यायाधीश किसी ऐसे फैसले के प्रभाव को महसूस कर रहा है, जिसके राजनीतिक प्रभाव हो सकते हैं। तो जाहिर है कि जब आप संवैधानिक मामलों पर फैसला कर रहे हों तो न्यायाधीशों को अपने फैसलों के प्रभाव से अवगत होना चाहिए। मेरा मानना है कि यह राजनीतिक दबाव नहीं है।
सामाजिक दबाव के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि न्यायाधीश अक्सर अपने फैसलों में सामाजिक प्रभाव के बारे में सोचते हैं।”
सीजेआई ने कहा, “हमारे द्वारा निपटाए गए मामलों में गहन सामाजिक प्रभाव शामिल हैं।”
भारत के मुख्य न्यायाधीश डी.वाई. चंद्रचूड़ ने कहा है कि “चुनाव भारत के संवैधानिक लोकतंत्र के मूल में हैं, लेकिन न्यायाधीश संवैधानिक मूल्यों की निरंतरता की भावना को प्रतिबिंबित करते हैं जो व्यवस्था की रक्षा करते हैं।”
न्यायाधीश के रूप में मेरा मानना है कि सामाजिक व्यवस्था पर हमारे फैसलों के प्रभाव के बारे में जागरूक होना हमारा दायित्व है।
लंबित मामलों के मुद्दे को स्वीकार करते हुए, चंद्रचूड़ ने कहा कि “भारत में न्यायाधीशों की संख्या, जनसंख्या के अनुपात में दुनिया में सबसे कम है।”
उन्होंने कहा, “हमें बस और अधिक न्यायाधीशों की आवश्यकता है। हम सभी स्तरों पर न्यायपालिका की ताकत बढ़ाने के लिए सरकार के साथ बातचीत कर रहे हैं। “
सोशल मीडिया के मुद्दे पर चंद्रचूड़ ने कहा कि “यह एक वास्तविकता है और आज हमारी अदालतों में हर मिनट लाइव-ट्वीटिंग होती है।”
उन्होंने कहा, “न्यायाधीश द्वारा कही गई हर टिप्पणी सोशल मीडिया पर प्रसारित होती है। यह ऐसी चीज है जिसे हमें रोकने की जरूरत नहीं है और हम रोक नहीं सकते हैं।
जाहिर है, हम कुछ मौकों पर आलोचना का शिकार होते हैं। कभी-कभी आलोचना उचित होती है, कभी-कभी आलोचना उचित नहीं होती। लेकिन मैं मानता हूं कि न्यायाधीश के तौर पर हमारे कंधे इतने चौड़े हैं कि हम लोगों द्वारा हमारे काम की आलोचना को स्वीकार कर सकें।”