मुंबई – महाराष्ट्र की सियासत में बड़ा मोड़ आया है, जब अजित पवार गुट के एनसीपी ने नवाब मलिक को मानखुर्द शिवाजी नगर से आधिकारिक उम्मीदवार बना दिया। नवाब मलिक कई महीनों से इस टिकट के लिए कोशिश कर रहे थे, जबकि भाजपा उनकी उम्मीदवारी का विरोध कर रही थी, क्योंकि भाजपा का आरोप था कि मलिक के अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम के साथ संबंध हैं। भाजपा ने महायुति में उनकी भूमिका पर आपत्ति जताते हुए उन्हें टिकट न देने की बात कही थी। इसके चलते नवाब मलिक ने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर अपना नामांकन दाखिल किया, जिसके बाद महायुति में हलचल मच गई और उन्हें महायुति से टिकट देने का निर्णय हुआ।
नवाब मलिक राजनीति में एक अनुभवी नेता हैं और पांच बार विधायक रह चुके हैं। उन्होंने पहली बार 1996 में नेहरू नगर से सपा के टिकट पर उपचुनाव जीता। 1999 में भी सपा के टिकट से जीतने के बाद, 2004 और 2009 में भी उन्होंने अपनी जीत को बरकरार रखा। हालांकि 2014 में शिवसेना प्रत्याशी से मामूली अंतर से हारने के बाद, 2019 में उन्होंने उसी सीट से जीत हासिल की। अगर इस बार नवाब मलिक जीतते हैं, तो भाजपा नेताओं देवेंद्र फडणवीस और आशीष शेलार के साथ मंच साझा करते हुए नजर आएंगे, जिन्होंने उन पर दाऊद से संबंध होने का आरोप लगाया था। इस घटनाक्रम के बाद नवाब मलिक की उम्मीदवारी ने महायुति के भीतर तनाव को बढ़ा दिया है। चुनावी माहौल में इस फैसले से राजनीतिक समीकरणों में और बदलाव देखने को मिल सकते हैं।
- उद्धव गुट का कटाक्ष
नवाब मलिक को टिकट मिलने के बाद उद्धव गुट की सांसद प्रियंका चतुर्वेदी ने देवेंद्र फडणवीस पर कटाक्ष किया। प्रियंका ने कहा, “दाऊद का साथी अब फडणवीस का दोस्त बन गया है।” उनके इस बयान ने एनसीपी और भाजपा के गठबंधन पर सवाल खड़े कर दिए और आगामी चुनावों में भाजपा-एनसीपी की स्थिति को लेकर असहमति को उजागर किया।
- टिकट मिलने के बाद नवाब मलिक ने कहा, “मैंने मानखुर्द शिवाजी नगर से एनसीपी के उम्मीदवार के तौर पर नामांकन दाखिल कर दिया है। पहले मैंने निर्दलीय नामांकन दाखिल किया था, लेकिन दोपहर में पार्टी का एबी फॉर्म मिलने पर मैं अब एनसीपी का आधिकारिक उम्मीदवार हूं।”