महाराष्ट्र में अल्पसंख्यक ईसाई समुदाय के लिए विधानसभा चुनाव मुश्किल विकल्प वाला हो गया है। ऐसा तब हुआ जब, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि सरकार आने पर बीजेपी महाराष्ट्र में धर्मांतरण विरोधी कानून लागू करेगी। उन्होंने यह भी कहा कि दलितों का आरक्षण अल्पसंख्यकों का कभी नहीं होने देगी। इस तथ्य के बावजूद कि मुंबई में प्रमुख राजनीतिक दलों ने किसी भी ईसाई उम्मीदवार को मैदान में नहीं उतारा गया है, समुदाय के नेता सदस्यों को 20 नवंबर को बड़ी संख्या में मतदान करने की सलाह दे रहे हैं।
टाइम्स ऑफ इंडिया ने सीनियर पादरियों, गैर सरकारी संगठनों और कार्यकर्ताओं से बात की। इस बातचीत के जरिए पता लगाने की कोशिश की गई कि ईसाई समुदाय, खासकर युवा, किस तरह से मतदान करेंगे।
चर्च और ईसाईयों को बनाया जा रहा निशाना?
समस्त क्रिस्टी समाज नामक एनजीओ के संघ के मुख्य सदस्य सिरिल दारा ने कहा, ‘इसाइयों को धर्मांतरण विरोधी कानूनों के जरिए निशाना बनाया जा रहा है। इन कानूनों ने ऐसा माहौल बनाया है कि अल्पसंख्यक धर्म में धर्मांतरण बहुत खतरनाक है। चरमपंथी तत्व पादरियों पर लोगों को ईसाई धर्म अपनाने के लिए प्रलोभन देने का झूठा आरोप लगाते हैं।
महाराष्ट्र में किसे वोट देगें ईसाई वोटर्स? अमित शाह के धर्मांतरण रोधी कानून के बयान से चर्च लीडर्स में टेंशन
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